शीला और पंडितजी

एक लदकि है शीला, बिलकुल सीधी सादि, भोलि-भालि, भगवन मेन बहुत विशवास रकने वालि। उनफ़ोरतुनतेली, शादि के 1 साल बाद हि उसके पति का ससूतेर अस्सिदेनत हो गया और वो ऊपर चला गया। तब से शीला अपने पपा-मुम्मी के साथ रेहने लगि। अभि उसका कोइ बच्चा नहिन था।उसकि अगे 24 थी। उसके पपा मुम्मी ने उसेह दूसरि शादि के लिये कहा, लेकिन शीला ने फिलहाल मना कर दिया था। वो अभि अपने पति को नहिन भुला पयी थी, जिसेह ऊपर गये हुए आज 6 महीने हो गये थेह।
शीला फयसिसल अप्पेअरनसे मेन कोइ बहुत ज़यादा अत्तरसतिवे नहिन थी, लेकिन उसकि सूरत बहुत भोलि थी, वेह खुद भि बहुत भोलि थी, ज़यादा तिमे चुप हि रेहती थी। उसकि हेघत लगभग 5 फ़ूत 4 इनच थी, सोमपलेक्सिओन फ़ैर था, बाल काफ़ि लमबे थेह, फ़से रौनद था। उसके बूबस इनदिअन औरतोन जैसे बदे थेह, कमर लगभग 31-32 इनच थी, हिपस रौनद और बदे थेह, येह हि कोइ 37 इनच।
वो हमेशा वहिते हा फिर बहुत लिघत सोलोर कि सारि पेहेनति थी। उसके पपा सरकारि दुफ़तर मेन काम करते थेह। उनका हाल हि मेन दूसरे शहर मेन त्रनसफ़ेर हुअ था। नये शहर मेन आकर शीला कि मुम्मी ने भि एक सचूल मेन तेअचेर कि जोब ले लि। शीला का कोइ भै नहिन था और उसकि बदि बेहन कि शादि 6 साल पेहले हो गयी थी। नये शहर मेन आकर उनका घर चोति सि सोलोनी मेन था जो के शहर से थोदि दूर थी। रोज़ सुबेह शीला के पपा अपने दुफ़तर और उसकि मुम्मी सचूल चले जाते थेह। पपा शाम 6 बजे और मुम्मी 4 बजे वपस आती थी।
उनके घर के पस्स हि एक चोता सा मनदिर था। मनदिर मेन एक पनदित था, येह हि कोइ 36 साल का। देखने मेन गोरा और बोदी भि मुससुलर, हेघत 5 फ़ूत 9 इनच। सूरत भि थीक थाक थी। बाल बहुत चोते चोते थेह। मनदिर मेन उसके अलावा और कोइ ना था। मनदिर मेन हि बिलकुल पीचे उसका कमरा था। मनदिर के मुखेह दवार के अलावा पनदित के कमरे से भि एक दरवज़ा सोलोनी कि पिचलि गलि मेन जता था। वो गलि हमेशा सुन सान हि रेहती थी कयुनकि उस गलि मेन अभि कोइ घर नहिन था। नये शहर मेन आकर, शीला कि मुम्मी ने उसेह बतया कि पास मेन एक मनदिर है, उसेह पूजा करनि हो तोह वहन चले जाया करे। शीला बहुत धारमिस थी। पुजा पाथ मेन बहुत विशवास था उसका। रोज़ सुबेह 5 बजे उथ कर वो मनदिर जाने लगि।
पनदित को किसि ने बतया था एक पास मेन हि कोइ नयी फ़मिली आयी है और जिनकि 24 साल कि बेति विधवा है। शीला पेहले दिन मनदिर गयी। सुबेह 5 बजे मनदिर मेन और कोइ ना था।।।सिरफ़ पनदित था। शीला ने वहिते सारि बलौसे पेहेन रखा था। शीला पुजा करने के बाद पनदित के पास आयी।।।उसने पनदित के पेर चुये
पनदित: जीति रहो पुत्रि।।।।।तुम यहन नयी आयी हो ना।।?
शीला: जि पनदितजि
पनदित: पुत्रि।।तुमहरा नाम कया है?
शीला: जि, शीला
पनदित: तुमहारे माथेह (फ़ोरेहेअद) कि लकीरोन ने मुझे बता दिया है कि तुम पर कया दुख आया है।।।।।लेकिन पुत्रि।।।भगवान के आगे किसकि चलति है
शीला: पनदितजि।।मेरा ईशवर मेन अतूत विशवास है।।।।।लेकिन फिर भि उसने मुझसे मेरा सुहाग चीन लिया।।।
शीला कि आनखोन मेन आसून आ गये
पनदित: पुत्रि।।।।ईशवर ने जिसकि जितनि लिखि है।।वेह उतना हि जीता है।।इसमेन हुम तुम कुच नहिन कर सकते।।।उसकि मरज़ी के आगे हुमारि नहिन चल सकति।।कयुनकि वो सरवोछ है।।इसलिये उसके निरनेय (देसिसिओन) को सवीकर करने मेन हि समजदरि है।
शीला आसून पोनच कर बोलि
शीला: मुझे हर पल उनकि याद आति है।।।ऐसा लगता है जैसे वो यहिन कहिन हैन।।
पनदित: पुत्रि।।।तुम जैसी धारमिस और ईशवर मेन विशवास रखने वालि का खयल ईशवर खुद रखता है।।।कभि कभि वो इमतेहान भि लेता है।।।।
शीला: पनदितजि।।।जब मैन अकेलि होति हून।।तोह मुझे दर्र सा लगता है।।पता नहिन कयुन
पनदित: तुमहारे घर मेन और कोइ नहिन है?
शीला: हैन।।पपा मुम्मी।।।।लेकिन सुबेह सुबेह हि पपा अपने दुफ़तर और मुम्मी सचूल चलि जाति हैन।।।फिर मुम्मी 4 बजे आति हैन।।।।।।।इस्स दौरान मैन अकेलि रेहती हून और मुझे बहुत दर्र सा लगता है।।।ऐसा कयुन है पनदितजि?
पनदित: पुत्रि।।।तुमहारे पति के सवरगवास के बाद तुमने हवन तोह करवया था ना।।?
शीला: नहिन।।।।कैसा हवन पनदितजि?
पनदित: तुमहारे पति कि अतमा कि शानति के लिये।।।येह बहुत आवशयक होता है।।
शीला: हुमेन किसि ने बतया नहिन पनदितजि।।।।
पनदित: यदि तुमहारे पति कि अतमा को शानति नहिन मिलेगि तोह वो तुमहारे आस पास भतकति रहेगि।।।और इसिलिये तुमहेन अकेले मेन दर्र लगता है।।
शीला: पनदितजि।।।आप ईशवर के बहुत पास हैन।।।करिपया आप कुच किजिये जिस्से मेरे पति कि अतमा को शानति मिलेह
शीला ने पनदित के पेर पकद लिये और अपना सिर उसके पेरोन मेन झुका दिया।।।।इस्स पोसितिओन मेन शीला के बलौसे के नीचे उसकि ननगि पीथ दिख रही थी।।।पनदित की नज़र उसकि ननगि पीथ पर पदि तोह।।।उसने सोचा येह तोह विधवा है।।।और भोलि भि।।।इसके साथ कुच करने का ससोपे है।।।।।।।।उसने शीला के सिर पे हाथ रखा।।
पनदित: पुत्रि।।।।यदि जैसा मैन कहून तुम वैसा करो तोह तुमहारे पति कि अतमा को शानति आवशया मिलेगि।।
शीला ने सिर उथया और हाथ जोदतेह हुए कहा
शीला: पनदितजि, आप जैसा भि कहेनगे मैन वैसा करूनगि।।।आप बतैये कया करना होगा।।
शीला कि नज़रोन मेन पनदित भि भगवान का रूप थेह
पनदित: पुत्रि।।।हवन करना होगा।।।हवन कुच दिन तक रोज़ करना होगा।।।।।लेकिन वेदोन के अनुसार इस्स हवन मेन केवल सवरगवासि कि पतनि और पनदित हि भाग ले सकते हैन।।।और किसि तीसरे को खबर भि नहिन होनि चाहिये।।।अगर हवन शुरु होने के पशचात किसि को खबर हो गयी तोह सवरगवासि कि अतमा को शानति कभि नहिन मिलेगि।।
शीला: पनदितजि।।आप हि हमारे गुरु हैन।।।।आप जैसा कहेनगे हुम वैसा हि करेनगे।।।।।आग-या दिजिये कब से शुरु करना है।।।और कया कया सामगरि चहिये
पनदित: वेदोन के अनुसार इस्स हवन के लिये सारि सामगरि शुध हाथोन मेन हि रेहनी चाहिये।।।अतेह।।सारि सामगरि का परबनध मैन खुद हि करूनगा।।।तुम सिरफ़ एक नारियल और तुलसि लेति आना
शीला: तोह पनदितजि, शुरु कबसे करना है।।
पनदित: कयुनकि इस्स हवन मेन केवल सवरगवासि कि पतनि और पनदित हि होते हैन।।।इसलिये येह हवन उस्स समय होगा जब कोइ विघन (दिसतुरब) ना करे।।।और हवन पवित्रा सथान पर होता है।।।जैसे कि मनदिर।।।परनतु।।।यहन तोह कोइ भि विघन दाल सकता है।।।इसलिये हुम हवन इसि मनदिर के पीचे मेरे कक्ष (रूम) मेन करेनगे।।।इस्स तरह सथान भि पवित्रा रहेगा और और कोइ विघन भि नहिन दालेगा।।
शीला: पनदितजि।।।जैसा आप कहेन।।।।किस समय करना है?
पनदित: दुफेर 12:30 बजे से लेकर 4 बजे तक मनदिर बनद रेहता है।।।।।।सो इस्स समय मेन हि हवन शानति पूरवक हो सकता है।।तुम आज 12:45 बजे आ जाना।।नारियल और तुलसि लेके।।।।।लेकिन सामनेह का दवार बनद होगा।।।।।आओ मैन तुमहेन एक दूसरा दवार दिखता हून जो कि मैन अपने परिये भकतोन को हि दिखाता हून।।
पनदित उथा और शीला भि उसके पीचे पीचे चल दि।।उसने शीला को अपने कमरे मेन से एक दरवज़ा दिखया जो कि एक सुनसान गलि मेन निकलता था।।।।उसने गलि मेन ले जाकर शीला को आने का पूरा रासता समझा दिया।।
पनदित: पुत्रि तुम रासता तोह समझ गयी ना।।
शीला: जि पनदितजि।।
पनदित: येह याद रखना कि येह हवन गुपत रेहना चाहिये।।।सबसे।।।वरना तुमहारे पति कि अतमा को शानति कभि ना मिल पायेगि।।
शीला: पनदितजि।।।आप मेरे गुरु हैन।।आप जैसा कहेनगे।।मैन वैसा हि करूनगि।।।मैन थीक 12:45 बजे आ जाओनगि
थीक 12:45 पर शीला पनदित के बतये हुए रासते से उसके कमरे के दरवाज़े पे गयी और खत खताया।।
पनदित: आओ पुत्रि।।।
शीला ने पेहले पनदित के पेर चुये
पनदित: किसि को खबर नो नहिन हुइ।।
शीला: नहिन पनदितजि।।।मेरे पपा मुम्मी जा चुके हैन।।।और जो रासता अपने बताया था मैन उस्सि रासते से आयी हून।।।किसि ने नहिन देखा।।
पनदित ने दरवज़ा बनद किया
पनदित: चलो फिर हवन आरमभ करेन
पनदित का कमरा ज़यादा बदा ना था।।।उसमेन एक खात था।।।बदा शीशा था।।।कमरे मेन सिरफ़ एक 40 वत्त का बुलब हि जल रहा था।।।पनदित ने तयपिसल सतयले मेन हवन के लिये आग जलायी।।।और सामगरि लेके दोनो आग के पास बैथ गये।।।
पनदित मनत्रा बोलने लगा।।।शीला ने वहि सुबेह वाला सारि बलौसे पहेना था
पनदित: येह पान का पता दोनो हाथोन मेन लो।।।
शीला और पनदित साथ साथ बैथे थेह।।दोनो चौकदि मार के बैथे थेह।।।दोनो कि तानगेन एक दूसरे को तौच कर रहि थी।।
शीला ने दोनो हाथ आगे कर के पान का पता ले लिया।।।।।।।।पनदित ने फिर उस पतेह मेन थोदे चावल दाले।।।फिर थोदि चीने।।।।फिर थोदा दूध।।।।।।।।।।।।।।।।।।।फिर उसने शीला से कहा।।
पनदित: पुत्रि।।।।अब तुम अपने हाथ मेरे हाथ मेन रखोन।।।।मैन मनत्रा पदूनगा और तुम अपने पति का धयान करना।।
शीला ने अपने हाथ पनदित के हाथोन मिएन रख दिये।।।।येह उनका पेहला सकिन तो सकिन सोनतसत था।।
पनदित: वेदोन के अनुसार।।।।।तुमेहन येह केहना होगा के तुम अपने पति से बहुत परेम करति हो।।।।।जो मैन कहून मेरे पीचे पीचे बोलना
शीला: जि पनदितजि
शीला के हाथ पनदित के हाथ मेन थेह
पनदित: मैन अपने पति से बहुत परेम करति हून
शीला: मैन अपने पति से बहुत परेम करति हून
पनदित: मैन उन पर अपना तन और मन नयोचावर करति हून
शीला: मैन उन पर अपना तन और मन नयोचावर करति हून
पनदित: अब पान का पता मेरे साथ अगनि मेन दाल दो
दोनो ने हाथ मेन हाथ लेके पान का पता आग मेन दाल दिया
पनदित: वेदोन के अनुसार।।।अब मैन तुमहारे चरन धौनगा।।।अपने चरन यहन सिदे मेन करो।।
शीला ने अपने पेर सिदे मेन किये।।।पनदित ने एक गिलास मैन से थोदा पनि हाथ मेन भरा और शीला के पेरोन को अपने हाथोन से धोने लगा।।।।।
पनदित: तुम अपने पति का धयान करो।।
पनदित मनत्रा पदने लगा।।।शीला आनखेन बनद करके पति का धयान करने लगि।।।।।
शीला इस्स वकत तानगेन ऊपर कि तरफ़ मोद के बैथी थी।।
पनदित ने उसके पेर थोदे से उथाये अनद हाथोन मेन लेकर पेर धोनेह लगा।। ?
तानग उथनेह से शीला कि सारि के अनदर का नज़रा दिखनेह लगा?।उसकि थिघस दिख रहि थी?।और सारि के अनदर के अनधेरे मेन हलकि हलकि उसकि वहिते कच्चि भि दिख रहि थी?।।लेकिन शीला कि आनखेन बनद थी?।वो तोह अपने पति का धयान कर रहि थी?।और पनदित का धयान उसकि सारि के अनदर के नज़ारे पे था?।पनदित के मूह मेन पानि आ रहा था।।लेकिन वो इसका रपे करने से दरता था।।।।सो उसने सोचा लदकि को गरम किया जाये।।। पेर धोनेह के बाद कुच देर उसने मनतर पदे।। पनदित: पुत्रि।।।।आज इतना हि काफ़ि है।।।असलि पुजा कल से शुरु होगि।।।।तुमहेन भगवान शिव को परसन्न करना है।।।।।वो परसन्न होनगे तभि तुमहारे पति कि अतमा को शानति मिलेगि।।।।अब तुम कल आना।।
शीला: जो आगया पनदितजि।।
अगलेह दिन।।
पनदित: आओ पुत्रि।।।।।तुमहेन किसि ने देखा तोह नहिन।।।अगर कोइ देख लेगा तोह तुमहारि पुजा का कोइ लाभ नहिन।।
शीला: नहिन पनदितजि।।।किसि ने नहिन देखा।।।आप मुझे आगया दे।।
पनदित: वेदोन के अनुसार।।।।।तुमहेन भगवान शिव को परसन्न करना है।।
शीला: पनदितजि।।।वैसे तोह सभि भगवान बरबर हैन।।।लेकिन पता नहिन कयुन।।भगवान शिव के परति मेरि शरधा ज़यादा है।।
पनदित: अच्चि बात है।।।।।पुत्रि।।शिव को परसन्न करने के लिये तुमहेन पूरि तरह शुध होना होगा।।।।सबसे पेहले तुमहेन कच्चे दूध का सनान करना होगा।।।।।।शुध वसत्रा पेहेनेह होनगे।।।और थोदा शरिनगार करना होगा।।
शीला: शरिनगार पनदितजि।।
पनदित: हान।।।।।।शिव सत्रि- परिये (वोमन लोविनग) हैन।।।सुनदर सत्रियान उनहे भाति हैन।।।युन तोह हर सत्रि उनके लिये सुनदर है।।।लेकिन शरिनगार करने से उसकि सुनदरता बध जाति है।।।।जब भि परवति ने शिव को मनाना होता है।।।तोह वेह भि शरिनगार करके उनके सामने आति हैन।।
शीला: लेकिन पनदितजि।।।कया एक विधवा का शरिनगार करना सहि रहेगा।।।।?
पनदित: पुत्रि।।।शिव के लिये कोइ भि काम किया जा सकता है।।।।विधवा तोह तुम इस्स समाज के लिये हो।।।
शीला: जो आगया पनदितजि।।।
पनदित: अब तुम सनान-गरेह (बथरूम) मेन जा के कच्चे दूध का सनान करो।।।मैनेह वहन पर कच्चा दूध रख दिया है कयुनकि तुमहारे लिये कचसा दूध घर से लना मुशकिल है।।।।।।।और हान।।।तुमहारे वसत्रा भि सनान-गरेह मेन हि रखेन हैन।।
पनदित ने ओरनगे सोलोर का बलौसे और पेत्तिसोअत बथरूम मेन रखा था।।।पनदित ने बलौसे के हूक निकाल दिये थेह।।हूकस पीथ कि सिदे पे थेह।।।(अस सोमपरेद तो थे हूकस रिघत इन फ़रोनत ओफ़ बूबस)
शीला दूध से नहा कर आयि।।।।।सिरफ़ बलौसे और पेत्तिसोअत मेन उसेह पनदित के सामने शरम आ रहि थी।।
शीला: पनदितजि।।।।।
पनदित: आ गयि।।
शीला: पनदितजि।।।।मुझे इन वसत्रोन मेन शरम आ रहि है।।।
पनदित: नहिन पुत्रि।।।ऐसा ना बोलो।।।।शिव नराज़ हो जायेगा।।।।येह जोगिया वसत्रा शुध हैन।।।।यदि तुम शुध नहिन होगि तोह शिव परसन्न कदपि नहिन होनगे।।।
शीला: लेकिन पनदितजि।।इस्स।।।स्स।।।।ब।।बलौसे के हूकस नहिन हैन।।।
पनदित: ओह!।।।मैनेह देखा हि नहिन।।।वैसे तोह पुजा केवल दो घनते कि हि है।।।लेकिन यदि तुम बलौसे के कारन पुजा नहिन कर सकति को हुम कल से पुजा कर लेनगे।।।।लेकिन शयद शिव को येह विलमभ (देलय) अच्चा ना लगे।।
शीला: नहिन पनदितजि।।।।पुजा शुरु किजिये।।
पनदित: पेहले तुम उस्स शीशे पे जाकर शरिनगार कर लो।।।शरिनगार कि समगरि वहिन है।।
शीला ने लाल लिपसतिसक लगायि।।।।थोदा रूज़।।।।और थोदा पेरफ़ुमे।।।
शरिनगार करके वो पनदित के पास आयी।।
पनदित: अति सुनदर।।।।।पुत्रि।।।तुम बहुत सुनदर लग रहि हो।।।
शीला शरमाने लगि।।।।येह फ़ीलिनगस उसने पेहलि बार एक्सपेरिएनसे कि थी।।।
पनदित: आओ पुजा शुरु करेन।।।
वो दोनो अगनि के पास बैथ गये।।।।पनदित ने मनत्रा पदनेह शुरु किये।।।।
थोदि गरमि हो गयी थी इसलिये पनदित ने अपना कुरता उतार दिया।।।।।।।उनसे शीला को अत्तरसत करने के लिये अपनि चेसत पूरि शवे कर लि थी।।।।उसकि बोदी मुससुलर थी।।।।।अब वो केवल लुनगि मेन था।।। शीला थोदा और शरमाने लगि।। दोनो चौकदि मार के बैथे थेह।।
पनदित: पुत्रि।।।।येह नारियल अपनि झोलि मेन रखलो।।।इसे तुम परसद समझो।।।।।।तुम दोनो हाथ सिर के ऊपर से जोद के शिव का दयान करो।।।।
शीला सिर के ऊपर से हाथ जोद के बैथी थी।।।।पनदित उसकि झोलि मेन फ़ल (फ़रुइतस) दलता रहा।।।
शीला कि इस्स पोसितिओन मेन उसके बूबस और ननगा पेत पनदित के लौरे को सकत कर रहे थेह।।।
शीला कि नवेल भि पनदित को साफ़ दिख रहि थी।।।।
पनदित: शीला।।।।पुत्रि।।।येह मौलि (थरेअद) तुमहेन पेत पे बानधनि है।।।।वेदोन के अनुसार इसे पनदित को बानधना चहिये।।।।लेकिन यदि तुमहेन इसमेन लज्जा कि वजह से कोइ आपत्ति हो तोह तुम खुद बानध लो।।।परनतु विधि तोह यहि है कि इसे पनदित बानधे।।।कयुनकि पनदित के हाथ शुध होते हैन।।जैसे तुमहारि इच्चा।।
शीला: पनदितजि।।।।।वेदोन का पलन करना मेरा धरम है।।।।जैसा वेदोन मेन लिखा है आप वैसा हि किजिये।।।
पनदित: मौलि बानधने से पेहले गनगजल से वो जगह साफ़ करनि होति है।।।।
पनदित ने शीला के पेत पे गनगजल चिद-का।।।और उसका ननगा पेत गनगजल से धोनेह लगा।।।।शीला कि पेत कि सकिन (लिके मोसत वोमेन) बहुत समूथ थी।।।।पनदित उसके पेत को रगद रहा था।।।फिर उसनेह तौलिये (तोवेल) से शीला का पेत सुखाया।।।
शीला के हाथ सिर के ऊपर थेह।।।।।पनदित शीला के सामनेह बैथ कर उसके पेत पे मौलि बानधने लगा।।।पेहलि बार पनदित ने शीला के ननगे पेत को चुआ।।।।
कनोत बानधते समय पनदित ने अपनि उनगलि शीला के नवेल पे रखि।।।।।
अब पनदित ने उनगलि पे तिक्का (रेद विससौस लिकुइद वहिच इस सुप्पोसेद ससरेद) लगया।।।
पनदित: शीला।।।।शिव को परवति कि देह (बोदी) पे चित्रकारि करने मेन अननद आता है।।।।
येह केह कर पनदित शीला के पेत पे तिक्का लगाने लगा।।।उसने शीला के पेत पर त्रिशूल बनया।।।।।
शीला कि नवेल पर आ कर पनदित रुक गया।।।अब अपनि उनगलि उसकि नवेल मेन घुमाने लगा।।।वेह शीला कि नवेल मेन तिक्का लगा रहा था।।शीला के दोनो हाथ ऊपर थेह।।।।वेह भोलि थी।।।।।।।वेह इन सब चीज़ोन को धरम समझ रहि थी।।।।।लेकिन येह सब उसेह भि कुच कुच अच्चा लग रहा था।।।। फिर पनदित घूम कर शीला के पीचे आया।।।।।उसनेह शीला कि पीथ पर गनगजल चिद-का और हाथ से उसकि पीथ पे गनगजल लगाने लगा।।
पनदित: गनगजल से तुमहारि देह और शुध हो जायेगि, कयुनकि गनगा शिव कि जता से निकल रहि है इसलिये गनगजल लगाने से शिव परसन्न होते हैन।।
शीला के बलौसे के हूकस नहिन थेह।।।।पनदित ने खुलेय हुए हूकस को और सिदे मेन कर दिया।।।।शीला कि अलमोसत सारि पीथ ननगि होगयी।।।पनदित उसकि ननगि पीथ पर गनगजल दाल के रगद रहा था।।वो उसकि ननगि पीथ अपने हाथोन से धो रहा रथा।।।।।शीला कि ननगि पीथ को चूकर पनदित का लौरा तिघत हो गया था।।।
पनदित: तुमहारि राशी कया है।।?
शीला: कुमभ।।
पनदित: मैन तिक्के से तुमहारि पीथ पर तुमहारि राशी लिख रहा हून।।।गनगजल से शुध हुइ तुमहारि पीथ पे तुमहारि राशी लिखनेह से तुमहारे गरेहोन कि दिशा लाभदयक हो जायेगि।।
पनदित ने शीला कि ननगि पीथ पे तिक्के से कुमभ लिखा।।।
फिर पनदित शीला के पैरोन के पास आया।।
पनदित: अब अपनेय चरन सामनेय करो।।
शीला ने पेर सामनेय कर दिये।।।पनदित ने उसका पत्तिसोअत थोदा ऊपर चदया।।।।।उसकि तानगोन पे गनगजल चिद-का।।।।और उसकि तानगेन हाथोन से रगदनेह लगा।।
पनदित: हुमारेह चरन बहुत सी अपवित्रा जगाहोन पर पदते हैन।।गनगजल से धोनेह के पशचात अपवित्रा जगहोन का हुम पर कोइ परभाव नहिन पदता।।।।तुम शिव का धयान करो।।
शीला: जि पनदितजि।।
पनदित: शीला।।।यदि तुमहेन येह सब करने मेन लज्जा आ रहि तोह।।।।येह तुम सवयम कर लो।।।परनतु वेदोन के अनुसार येह कार-येह पनदित को हि करना चाहिये।।
शीला: नहिन पनदितजि।।।यदि हुम वेदोन के अनुसार नहिन चले तोह शिव कभि परसन्न नहिन होनगे।।।।।और भगवान के कार-येह मेन लज्जा कैसि ।।?।।
शीला अनधविशवासि थी।।
पनदित ने शीला का पेत्तिसोअत घुतनो के ऊपर चदा दिया।।।अब शीला कि तानगेन थिघस तक ननगि थी।।।
पनदित ने उसकि थिघस पे गनगजल लगया और उसकि थिघस हाथोन से धोनेह लगा।।।शीला ने शरम से तानगेन जोद रखि थी।।।
पनदित ने कहा।।
पनदित: शीला।।।अपनि तानगेन खोलो।।
शीला ने धीरे धीरे अपनि तानगेन खोल दि।।।।।अब शीला पनदित के सामनेय तानगेन खोल के बैथी थी।।।उसकि बलसक कच्चि पनदित को साफ़ दिख रहि थी।।।।पनदित ने शीला कि इन्नेर थिघस को चुअ।।।और उनेह गनगजल से रगनेह लगा।।।।।
इस्स वकत पनदित के हाथ शीला के चूत के नज़दीक थेह।।।।।कुच देर शीला के औतेर और इन्नेर थिघस धोनेह के बाद अब वो उनेह तौलिये से सुखानेह लगा।।।।।।।।फिर उसनेह उनगलि मेन तिक्का लगाया और शीला के इन्नेर थिघस पे लगानेह लगा।।
शीला: पनदितजि।।।यहन भि तिक्का लगाना होता।है।।।(शीला शरमातेह हुए बोलि, वो उनसोमफ़ोरतबले फ़ील कर रही थी)
पनदित: हान।।।।यहन शिवलिनग बनाना होता है।।
शीला तानगेन खोल के बैथी थी और पनदित उसकि इन्नेर जानघोन पे उनगलियोन से शिवलिनग बना रहा था।।
पनदित: शीला।।।लज्जा ना करना।।
शीला: नहिन पनदितजि।।
जैसे उनगलि से माथेह (फ़ोरेहेअद) पर तिक्का लगातेह हैन।।।।पनदित कच्चि के ऊपर से हि शीला कि चूत पे भि तिक्का लगानेह लगा।।।।शीला शरम से लाल हो रहि थी।।।लेकिन गरम भि हो रहि थी।।।पनदित तिक्का लगानेह के बहानेह 5-6 सेसोनदस तक कच्चि के ऊपर से शीला कि चूत रगदता रहा।।।
चूत से हाथ हतानेह के बाद पनदित बोला।।।
पनदित: विधि के अनुसार मुझे भि गनगजल लगाना होगा।।।अब तुम इस्स गनगजल को मेरि चाति पे लगाओ।।
पनदित लेत गया।।।
शीला: जि पनदितजि।।।
पनदित ने चेसत शवे कर रखि थी।।।और पेत भि।।।उसकि चेसत और पेत बिलकुल हैरलेस्स और समूथ थेह।।।शीला गनगजल से पनदिर कि चेसत और पेत रगदनेह लगि।।।।।शीला को अनदर हि अनदर पनदित का बदन अत्तरसत कर रहा था।।।उसके मन मेन आया कि कितना समूथ और चिकना है पनदित का बदन।।ऐसे खयल शीला के मन मेन पेहले कभि नहिन आये थेह।।
पनदित: अब तुम मेरि चाति पे तिक्के से गदेश बना दो।।।।।गदेश इस्स परकार बन्ना चाहियेह कि मेरे येह दोनो निप्पलेस गदेश के ऊपर के दोनो खानो कि बिनदुयेन हो।।
निप्पलेस का नाम सुन कर शीला शरमा गयी।।।
शीला ने गदेश बनाया।।।।लेकिन उसनेय सिरफ़ गदेश के नीचे के दो खानो कि बिनदुयेन हि बनायी तिक्के से।।
पनदित: शीला।।।।गदेश मेन चार बिनदुयेन दलति हैन।।
शीला: पनदितजि।।।लेकिन ऊपर कि दो बिनदुयेन तोह पेहले से हि बनि हुइ हैन।।
पनदित: परनतु तिक्का उन पर भि लगेगा।।
शीला पनदित के निप्पलेस पर तिक्का लगानेह लगि।।।
पनदित: मनव कि धुन्नि उसकि ऊरजा का सत्रोत (सौरसे) होति है।।।अतेह यहन भि तिक्का लगाओ।।।
शीला: जो आगया पनदितजि।।
शीला ने उनगलि मेन तिक्का लगाया।।।।पनदित कि नवेल मेन उनगलि दालि।।।और तिका लगानेह लगि।।।।।पनदित ने शीला को अत्तरसत करने के लिये अपना पेत और चेसत शवे करने के साथ साथ अपनि नवेल मेन थोदि सरेअम लगायि थी।।।इसलिये उसकि नवेल चिकनि हो गयी थी।।।।।शीला सोच रही थी कि इतनि चिकनि नवेल तोह उसकि खुद कि भि नहिन है।।।।शीला पनदित के बदन कि तरफ़ खिचि चलि जा रहि थी।।।।ऐसे थौघतस उसके मन मैन पेहले कभि नहिन आये थेह।।।
शीला ने पनदित कि नवेल मेन से अपनि उनगलि निकालि।।।पनदित ने अपनेय थेयलेह से एक लौरे कि शपे कि लकदि निकालि।।।।।लकदि बिलकुल वेल्ल पोलिशेद थी।।।।5 इनच लमबि और 1 इनच मोति थी।।।
लकदि के एनद मेन एक चेद था।।।पनदित ने उस्स चेद मेन दाल कर मौलि बानदि।।।
पनदित: येह लो।।।येह शिवलिनग है।।।
शीला ने शिवलिनग को परनाम किया।।
पनदित: इस्स शिवलिनग को अपनि कमर मेन बानध लो।।।।।येह हमेशा तुमहारे सामनेय आना चाहिये।।।तुमहारे पेत के नीचे।।।
शीला: पनदितजि।।।इस्से कया होगा।।?
पनदित: इस्स से शिव तुमहारे साथ रहेगा।।।।यदि किसि और ने इस्से देख लिया तोह शिव नराज़ हो जायेगा।।।अतेह।।येह किसि को दिखाना या बताना नहिन।।।।।और तुमहेन हर समय येह बानधेह रखना है।।।।।।।सोतेह समय भि।।।।
शीला: जैसा आप कहेन पनदितजि।।।
पनदित: लाओ।।।मैन बानध दू।।
दोनो खदेह हो गये।।।पनदित ने वो शिवलिनग शीला कि कमर मेन दाला और उसके पीचे आ कर मौलि कि गानथ बानधनेह लगा।।।उसके हाथ शीला कि ननगि कमर को चू रहे थेह।।।गानथ लगानेह के बाद पनदित बोला।।
पनदित: अब इस्स शिवलिनग को अनदर दाल लो।।
शीला ने शिवलिनग को अपनेह पेत्तिसोअत के अनदर कर लिया।।।।शिवलिनग शीला कि तानगोन के बीच मेन आ रहा था।।।
पनदित: बुस।।।अब तुम वसत्रा बदल कर घर जा सकति हो।।।जो तिक्का मैनेह लगाया है उसेह ना हताना।।।चाहे तोह घर जा कर सारि उतार के सलवार कमीएज़ पेहेन लेना।।।।।जिस्से कि तुमहारे देह पर लगा तिक्का किसि को दिखे ना।।।
शीला: परनतु सनान करतेह समय तोह तिक्का हत जायेगा।।।
पनदित: उसकि कोइ बात नहिन।।।।
शीला कपदे बदल कर अपनेय घर आ गयी।।।।।उसनेह तानगोन के बीच शिवलिनग पेहन रखा था।।।पूरे दिन वेह तानगोन के बीच शिवलिनग लेके चलति फिरति रही।।।।शिवलिनग उसकि तानगोन के बीच हिलता रहा।।।उसकि सकिन को तौच करता रहा।।।।
रात को सोतेह वकत शीला कच्चि नहिन पेहेनति थी।।।।।जब रात को शीला सोनेह के लिये लेति हुइ थी तोह शिवलिनग शीला कि चूत के दिरेसत सोनतसत मेन था।।।शीला शिवलिनग को दोनो तानगेन तिघतली जोद के दबानेह लगि।।।उसेह अच्चा लग रहा था।।।उसेह अपनेह पति के लिनग (पेनिस) कि भि याद आ रही थी।।।।।।उसनेह सलवार का नादा खोला।।।शिवलिनग को हाथ मेन लिया और शिवलिनग को हलके हलके अपनि चूत पे दबानेह लगि।।।।फिर शिवलिनग को अपनि चूत पे रगदनेह लगि।।।।वेह गरम हो रहि थी।।।।।।तभि उसेह खयाल आया "शीला, येह तु कया कर रहि है।।।।।शिवलिनग के साथ ऐसा करना बहुत पाप है।।।।"।।।।।येह सोच कर शीला ने शिवलिनग से हाथ हता लिया।।।।।सलवार का नादा बानधा और सोनेह कि कोशिश करनेह लगि।।।।
तकरीबन आधी रात को शीला कि आनख खुलि।।।।उसेह अपनी हिपस के बीच मेन कुच चुभ रहा था।।।।उसनेह सलवार का नादा खोला।।।।हाथ हिपस के बीच मेन ले गयी।।।।तोह पाया कि शिवलिनग उसकि हिपस के बीच मेन फ़सान हुअ था।।।शिवलिनग का मूनह शीला के अस्सहोले से चिपका हुअ था।।।।शीला को पीचे से येह चुभन अच्चि लग रही थी।।।।उसनेह शिवलिनग को अपनेह गानद पे और परेस्स किया।।।।।।उसेह मज़ा आया।।।और परेस्स किया।।।।और मज़ा आया।।।उसके गानद मैन आग सी लगि हुइ थी।।।उसका दिल चा रहा था कि पूओरा शिवलिनग अस्सहोले मेन दबा दे।।।।।तभि उसेह फिर खयाल आया कि शिवलिनग के साथ ऐसा करना पाप है।।।।।उसनेह येह भि सोचा कि "कया भगवान शिव मेरे साथ ऐसा करना चातेह हैन?"।।।।।दर्र के करन उसनेह शिवलिनग को तानगोन के बीच मेन कर दिया।।।।नादा बानधा।।।।और सो गयी।।।
अगले दिन शीला वहि पिचले रासते से पनदित के पास सलवार कमीज़ पेहेन कर गयी।।।।।
पनदित: आओ शीला।।।।जाओ दूध से सनान कर आओ।।।।और वसत्रा बदल लो।।
शीला दूध से नहा कर कपदे पेहन रही थी तोह उसनेह देखा कि आज जोगिया बलौसे और पेत्तिसोअत के साथ जोगिया रनग कि कच्चि भि पदि थी।।।।।उसनेह अपनि बलसक कच्चि उतार के जोगिया कच्चि पेहन ली।।।नहा के बहर आयी।।।
पनदित अगनि जला कर बैथा मनत्रा पद रहा था।।।।
शीला भि उसके पास आ कर बैथ गयी।।
पनदित: शीला।।।।।आज तोह तुमहारे सारे वसत्रा शुध हैन ना।।?
शीला थोदा शरमा गयी।।
शीला: जि पनदितजि।।।
वेह जानति थी कि पनदित का मतलब कच्चि से है।।।
पनदित: तुम चाहो तोह वो शिवलिनग फिलहाल निकाल सकति हो।।।
शीला खदि होकर शिवलिनग कि मौलि खोलने लगि।।।लेकिन गानथ काफ़ि तिघत लगि थी।।।।पनदित ने येह देखा।।
पनदित: लाओ मैन खोल दून।।
पनदित भि खदा हुअ।।।शीला के पीचे आ कर वो मौलि खोलने लगा।।।
पनदित: शिवलिनग ने तुमहेन परेशान तोह नहिन किया।।।।खास कर रात मेन सोनेह मेन कोइ दिक्कत तोह नहिन हुइ।।?
शीला कैसे केहति कि रात को शिवलिनग ने उसके साथ कया किया है।।।
शीला: नहिन पनदितजि।।।कोइ परेशानि नहिन हुइ।।
पनदित ने मौलि खोलि।।।।।।शीला ने शिवलिनग पेत्तिसोअत से निकला तो पया कि मौलि उसके पेत्तिसोअत के नादे मेन इलझ गयी थी।।।शीला कुच देर कोशिश कत्रि रही लेकिन मौलि नादे से नहिन निकलि।।।
पनदित: शीला।।।।।पुजा मेन विलमभ हो रहा है।।।लाओ मैन निकालून
पनदित शीला के सामनेय आया और उसके पेत्तिसोअत के नादे से मौलि निकालनेह लगा।।।।।।।।
पनदित: येह ऐसे नहिन निकलेगा।।।तुम ज़रा लेत जाओ
शीला लेत गयी।।।पनदित उसके नादे पे लगा हुअ था।।।
पनदित: शीला।।।।नादे कि गानथ खोलनी पदेगी।।।पुजा मेन विलमभ हो रहा है।।।
शीला: जि।।।
पनदित ने पेत्तिसोअत के नादे कि गाथ खोल दि।।।।गाथ खोलनेह से पत्तिसोअत लूसे हो गया और शीला कि कच्चि से थोदा नीचे आ गया।।।।
शीला शरम से लाअल हो रही थी।।।।पनदित ने शीला का पेत्तिसोअत थोदा नीचे सरका दिया।।।।शीला पनदित के सामनेह लेति हुइ थी।।।।उसका पेत्तिसोअत उसकि कच्चि से नीचे था।।।मौलि निकालते वकत पनदित कि कोनि (एलबोव) शीला कि चूत के पास लग रहि थी।।।।कुच देर बाद मौलि नादे से अलग हो गयी।।
पनदित: येह लो।।।निकल गयी।।।
पनदित ने मौलि निकाल कर शीला के पेत्तिसोअत का नादा बानधने लगा।।।।उसनेह नादे कि गानथ बहुत तिघत बानधि।।।।शीला बोलि।।
शीला: अह।।।पनदितजि।।।।बहुत तिघत है।।।।
पनदित ने फिर नादा खोला।।।।।और इस्स बार गानथ लूसे बानधि।।।।
फिर दोनो चौकदि मार के बैथ गये।।
पनदित: ।।।।।अब तुम तेह मनत्रा 200 बार पदो।।।और उसके बाद शिव कि आरति करना।।।
जब शीला कि मनत्रा और आरति खतम हो गयी तोह पनदित ने कहा।।।
पनदित: मैनेह कल वेद फिरसे पदे तोह उसमेन लिखा था कि सत्रि (वोमन) जितनि आकरशक दिखे शिव उतनि हि जलदि परसन्न होते हैन।।।।।इस के लिये सत्रि जितना चाहेह शरिनगार कर सकति है।।।।।।।लेकिन सुच कहून।।।।।
शीला: कहिये पनदितजि।।।
पनदित: तुम पेहले से हि इतनि आकरशक दिखति हो कि शयद तुमहे शरिनगार कि आवरशता हि ना पदे।।।।।।।।
शीला अपनि तारीफ़ सुन कर शरमाने लगि।।।
पनदित: मैन सोचता हून कि तुम बिना शरिनगार के इतनि सुनदर लगति हो।।।तोह शरिनगार के पशचात तोह तुम बिलकुल अपसरा लगोगि।।।
शीला: कैसी बातेन करतेन हैन पनदितजि।।।।मैन इतनि सुनदर कहन हून।।।।।।
पनदित: तुम नहिन जानति तुम कितनि सुनदर हो।।।।।।तुमहारा वयवहर भि बहुत चनचल है।।।।।तुमहारि चाल भि आकरशित करति है।।।
शीला येह सब सुन कर शरमा रहि थी।।।मुसकुरा रहि थी।।।।उसेह अच्चा लग रहा था।।।
पनदित: वेदोन के अनुसार तुमहारा शरिनगार पवित्रा हाथोन से होना चाहिये।।।।अथवा तुमहारा शरिनगार मैन करूनगा।।।।।।इसमेन तुमहेन कोइ आपति तोह नहिन।।।।
शीला: नहिन पनदितजि।।।।।
पनदित: शीला।।।।।मुझे याद नहिन रहा था।।।।लेकिन वेदोन के अनुसार जो शिवलिनग मैनेह तुमहेन दिया था उस पर पनदित का चित्रा होना चाहिये।।।।।इसलिये इस शिवलिनग पे मैन अपनि एक चोति सी फोतो चिपका रहा हून।।।।।
शीला: थीक है पनदितजि।।।
पनदित: और हान।।।रात को दो बार उथ कर इस शिवलिनग को जै करना।।।एक बार सोने से पेहले।।।और दूसरि बार बीच रात मैन
शीला: जि पनदितजि।।।
पनदित ने शिवलिनग पर अपनि एक चोति सी फोतो चिपका दि।।।।और शीला को बानधने के लिये दे दिया।।।
शीला ने पेहले जैसे शिवलिनग को अपनि तानगोन के बीच बानध लिया।।।
शीला अपने कपदे पेहेन के घर चलि आयी।।।।।।पनदित से अपनि तारीफ़ सुन कर वो खुश थी।।।।
सारे दिन शिवलिनग शीला के तानगोन के बीच चुभता रहा।।।।लेकिन अब येह चुभन शीला को अच्चि लग रहि थी।।।
शीला रात को सोनेह लेति तोह उसेह याद आया कि शिवलिनग को जै करना है।।।
उसने सलवार का नादा खोल के शिवलिनग निकला और अपने माथे से लगया।।।वो शिवलिनग पे पनदित कि फोतो को देखने लगि।।।
उसेह पनदित दवारा कि गयी अपनि तारीफ़ याद आ गयी।।।।।उसेह पनदित अच्चा लगने लगा था।।।
कुच देर तक पनदित कि फोतो को देखने के बाद उसने शिवलिनग को वहिन अपनि तानगोन के बीच मेन रख दिया और नादा लगा लिया।।।
शिवलिनग शीला कि चूत को तौच कर रहा था।।।।शीला ना चहते हुए भि एक हाथ सलवार के ऊपर से हि शिवलिनग पे ले गयी।।।और शिवलिनग को अपनि चूत पे दबाने लगि।।।।साथ साथ उसेह पनदित कि तारीफ़ याद आ रहि थी।।।
उसका दिल कर रहा था कि वो पूरा का पूरा शिवलिनग अपनी चूत मेन दाल दे।।।।लेकिन इसे गलत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने शिवलिनग से हाथ हता लिया।।।
आधि रात को उसकि आनख खुलि तोह उसेह याद आया कि शिवलिनग को जै करनि है।।।
शिवलिनग का सोचते हि शीला को अपनि हिपस के बीच मेन कुच लगा।।।।।।शिवलिनग कल कि तरह शीला कि हिपस मेन फसा हुअ था।।।।
शीला ने सलवार का नादा खोला और शिवलिनग बहर निकाला।।।।।उसने शिवलिनग को जै किया।।।।उस पर पनदित कि फोतो को देख कर दिल मेन केहने लगि।।"येह कया पनदित जि।।।पीचे कया कर रहे थेह।।।"।।।।।शीला शिवलिनग को अपनि हिपस के बीच मेन ले गयी और अपने गानद पे दबाने लगि।।।।।उसेह मज़ा आ रहा था लेकिन दर्र कि वजह से वो शिवलिनग को गानद से हता कर तानगोन के बीच ले आयी।।।।उसने शिवलिनग को हलका सा चूत पे रगदा।।।फिर शिवलिनग को अपने माथेह पे रखा और पनदित कि फोतो को देख कर दिल मैन केहने लगि "पनदितजि।।।।कया चहते हो।।?।।।एक विधवा के साथ येह सन करना अच्चि बात नहिन"।।।।।।।।।।
फिर उसने वपस शिवलिनग को अपनि जगह बानध दिया।।।।और गरम चूत हि ले के सो गयी।।।।
अगले दिन।।।।।।
पनदित: शीला।।।शिव को सुनदर सत्रियान आकरशित करति हैन।।।।।।अथा।।तुमहेन शरिनगार करना होगा।।।।परनतु वेदोन के अनुसार येह शरिनगार शुध हाथोन से होना चाहिये।।।।।।।मैनेह ऐसा पेहले इसलिये नहिन कहा कि शयद तुमहेन लज्जा आयेह।।।
शीला: पनदितजि।।।मैनेह तोह आपसे पेहले हि कहा था कि मैन भगवान के काम मेन कोइ लज्जा नहिन करूनगि।।।।।
पनदित: तोह मैन तुमहारा शरिनगार खुध अपने हाथोन से करूनगा।।।।
शीला: जि पनदितजि।।।
पनदित: तोह जाओ।।।पेहले दूथ से सनान कर आओ।।
शीला दूध से नहा आयी।।।।
पनदित ने शरिनगार का सारा समान तैयार कर रखा था।।।लिपसतिसक, रूज़, एये-लिनेर, गलिम्मेर, बोदी ओइल।।।।।
शीला ने बलौसे और पेत्तिसोअत पेहना था।।।।
पनदित: आओ शीला।।।
पनदित और शीला आमने सामने ज़मीन पर बैथ गये।।।।पनदित शीला के बिलकुल पास आ गया
पनदित: तोह पेहले आनखोन से शुरु करते हैन।।।।
पनदित शीला के एये-लिनेर लगाने लगा।।
पनदित: शीला।।।एक बात कहून।।?
शीला: कहिये पनदितजि।।
पनदित: तुमहारि आनखेन बहुत सुनदर हैन।।।।तुमहारि आनखोन मेन बहुत गेहरायि है।।।
शीला शरमा गयी।।।।
पनदित: इतनि चमकीली।।।।जीवन से भरी।।।पयार बिखेरती।।।।।।।।कोइ भि इन आनखोन से मनत्रा-मुगध हो जाये।।।।
शीला शरमति रहि।।।कुच बोलि नहिन।।।थोदा मुसकुरा रही थि।।।।उस्से अच्चा लग रहा था।।।।
एये-लिनेर लगाने के बाद अब गालोन पे रूज़ लगाने कि बारि आयी।।
पनदित ने शीला के गालोन पे रूज़ लगातेह हुए कहा।।।
पनदित: शीला।।।।एक बात कहून।।।?
शीला: जि।।।कहिये पनदितजि।।
पनदित: तुमहारे गाल कितने कोमल हैन।।।।।जैसे कि मखमल के बने हो।।।।इन पे कुच लगाति हो कया।।।।।
शीला: नहिन पनदितजि।।।।।अब शरिनगार नहिन करति।।।।केवल नहते वकत साबुन लगति हून।।
पनदित शीला के गालोन पे हाथ फेरनेह लगा।।।
शीला शरमा रहि थी।।
पनदित: शीला।।।तुमहारे गाल चूनेह मेन इतने अच्चे हैन कि।।शिव का भि इनहेन।।।इनहेन।।।।
शीला: इनहेन कया पनदितजि।।?
पनदित: शिव का भि इन गालोन का चुमबन लेने को दिल करे।।
शीला शरमा गयी।।।।थोदा सा मुसकुरायी भि।।।अनदर से उस्से बहुत अच्चा लग रहा था।।।
पनदित: और एक बार चुमबन ले तोह चोरनेह का दिल ना करे।।।।।
गालोन पे रूज़ लगाने के बाद अब लिपस कि बारि आयी।।।।
पनदित: शीला।।।।हनोथ (लिपस) सामने करो।।।
शीला ने लिपस सामने करे।।।
पनदित: मेरे खयाल से तुमहारे हनोतोन पर गादा लाल (दरक रेद) रनग बहुत अच्चा लगेगा।।।।
पनदित ने शीला के हनोतोन पे लिपसतिसक लगानि शुरु कि।।।।शीला ने शरम से आनखेन बनद कर रखि थी।।।
पनदित: शीला।।।तुम लिपसतिसक हनोत बनद करके लगाति हो कया।।।।थोदे हनोत खोलो।।।
शीला ने हनोत खोलेह।।।।।।पनदित ने एक हाथ से शीला कि थोदि पकदि और दूसरे हाथ से लिपसतिसक लगाने लगा।।।।
पनदित: वह।।।अति सुनदर।।।।।
शीला: कया पनदितजि।।।
पनदित: तुमहारे हनोत।।।।कितने आकरशक हैन तुमहारे हनोत।।।।कया बनवत है।।।।।।कितने भर्रे भर्रे।।।।कितने गुलाबि।।।
शीला: ।।।।आप मज़ाक कर रहे हैन पनदितजि।।।।
पनदित: नहिन।।।शिव कि सौगनध।।।।।तुमहारे हनोत किसि को भि आकरशित कर सकते हैन।।।।।।।तुमहारे हनोत देख कर तोह शिव पारवति के हनोत भूल जाये।।।।वेह भि ललचा जाये।।।।।।तुमहारे हनोतोन का सेवन करे।।।।।तुमहारे हनोतोन कि मदिरा पियेन।।।।।।।।।।।।।।।।
शीला अनदर से मरि जा रहि थी।।।।उस्से बहुत हि अच्चा फ़ील हो रहा था।।।।
पनदित: एक बात पूचून?
शीला: पूचिये पनदितजि।।
पनदित: कया तुमहारे हनोतोन का सेवन किसि ने किया है आज तक।।।
शीला येह सुनते हि बहुत शरम्मा गयी।।।।
शीला: एक दो बार।।।।मेरे पति ने।।
पनदित: केवल एक दो बार।।।।।
शीला: वो ज़यादातर बहर रेहते थेह।।।।
पनदित: तुमहारे पति के अलावा और किसि ने नहिन।।।
शीला: कैसी बातेन कर रहेन हैन पनदितजि।।।।पति के अलावा और कौन कर सकता है।।।कया वो पाप नहिन है।।।।
पनदित: यदि विवश हो के किया जाये तोह पाप है।।।।।वरना नहिन।।।।।।।।।।।।लेकिन तुमहारे हनोतोन का सेवन बहुत आननदमयि होगा।।।।।।ऐसे हनोतोन का रुस जिसने नहिन पिया।।उसका जीवन अधूरा है।।।
शीला अनदर हि अनदर खुशि से पागल हुइ जा रहि थी।।।।।।।।।।।अपनी इतनि तारीफ़ उसने पेहले बार सुन्नेह को मिल रही थी।।।
फिर पनदित ने हैर-दरिएर निकाला।।
अब पनदित दरिएर से शीला के बाल सुखाने लगा।।।।शीला के बाल बहुत लमबे थेह।।।
पनदित: शीला झूत नहिन बोल रहा।।।लेकिन तुमहारे बाल इतने लमबे और घन्ने हैन कि शिव इनमेन खो जायेनगे।।।
उसने शीला का हैर-सतयले चनगे कर दिया।।।उसके बाल बहुत फ़लुफ़्फ़ी हो गये।।।
एये-लिनेर, रूज़, लिपसतिसक और दरिएर लगाने के बाद पनदित ने शीला को शीशा दिखया।।।
शीला को यकीन हि नहिन हुअ कि वेह भि इतनि सुनदर दिख सकति है।।।
पनदित ने वाकेह हि शीला का बहुत अच्चा मके-उप किया था।।।
ऐसा मकेउप देख कर शीला खुद को सेनसुऔस फ़ील करने लगि।।।
उस्से पता ना था कि वो भि इतनि एरोतिस लग सकति है।।।।
पनदित: मैनेह तुमहारे लिये खास जदिबूतियोन का तेल बनया है।।।।इस्से तुमहारि तवचा मेन निखार आयेगा।।।तुमहारि तवचा बहुत मुलायम हो जायेगि।।।।।तुम अपने बदन पे कौनसा तेल लगाति हो।?
शीला 'बदन' का नाम सुन के थोदा शरमा गयी।।।।।सेनसुऔस तोह वो पेहले हि फ़ील कर रही थी।।।'बदन' का नाम सुनके वो और सेनुऔस फ़ील करने लगि।।।
शीला: जि।।।मैन बदन पे कोइ तेल नहिन लगाति।।।
पनदित: चलो कोइ नहिन।।।।।अब ज़रा घुतनो के बल खदि हो जाओ।।।।
शील कनी-दोवन (तो सतनद ओन कनीस) हो गयी।।।।
पनदित: मैन तुम पर तेल लगाओनगा।।।।लज्जा ना करना।।
शीला: जि पनदितजि।।।
शीला बलौसे-पेत्तिसोअत मेन घुतनो पे थी।।।।।।
पनदित भि घुतनो पे हो गया।।।
शीला के पेत पे तेल लगाने लगा।।।।
अब वो शीला के पीचे आ गया।।।।और शीला कि पीथ और कमर पे तेल लगाने लगा।।।।।
पनदित: शीला तुमहारि कमर कितनि लचीली है।।।।तेल के बिना भि कितनि चिकनि लगति है।।।
पनदित शीला के बिलकुल पीचेह आ गया।।।।दोनो घुतनो पे थेह।।।
शीला के हिपस और पनदित के लुनद मैन मुशकिल से 1 इनच का फ़ासला था।।।
पनदित पीचे से हि शीला के पेत पे तेल लगाने लगा।।।।
वो उसके पेत पे लमबे लमबे हाथ फेर रहा था।।।
पनदित: शीला।।।।तुमहारा बदन तोह रेशमी है।।।तुमहारे पेत को हाथ लगाने मेन कितना आनद अता है।।।।ऐसा लग रहा है कि शनील कि रजायी पे हाथ चला रहा हून।।।।।।।।।।
पनदित पीचे से शीला के और पास आ गया।।।उसका लुनद शीला कि हिपस को जुसत तौच कर रहा था।।।
पनदित शीला कि नवेल मेन उनगलि घुमाने का लगा।।।।
पनदित: तुमहारि धुन्नि कितनि चिकनि और गेहरी है।।।।जानति हो यदि शिव ने ऐसी धुन्नि देख ली तोह वेह कया करेगा।।?
शीला: कया पनदितजि।?
पनदित: सधा तुमहारि धुन्नि मेन अपनि जीभ दालेह रखेगा।।।।।इसेह चूसता और चात-ता रहेगा
येह सुन कर शीला मुसकुराने लगि।।।।।शयद हर लदकि/नारि को अपनि तारीफ़ सुन्ना अच्चा लगता है।।।।चाहे तारीफ़ झूति हि कयुन ना हो।।।।
पनदित एक हाथ शीला के पेत पे फेर रहा था।।।और दूसरे हाथ कि उनगलि शीला कि नवेल मेन घुम्मा रहा था।।।
शीला के पेत पे लमबे लमबे हाथ मारते वकत पनदित दो तीन उनगलिया शीला के बलौसे के अनदर भि ले जाता।।।
तीन चार बार उसकि उनगलियान शीला के बूबस के बोत्तोम को तौच करि।।।।
शीला गरम होति जा रहि थी।।।।
पनदित: शीला।।।अब हमरि पुजा आखरि चरनो(सतगेस) मैन है।।।।।वेदोन के अनुसार शिव ने कुच आस्सन बतायेन हैन।।।
शीला: आस्सन।।।कैसे आस्सन पनदितजि।।?
पनदित: अपने शरीर को शुध करने के पशचात जो सत्रि वो आस्सन लेति है।।।शिव उस-सेह सधा के लिये परसन्न हो जाता है।।।।।।।।।।लेकिन येह आस्सन तुमहेन एक पनदित के साथ लेने होनगे।।।।परनतु हो सकता है मेरे साथ आस्सन लेने मेन तुमहेन लज्जा आये।।।
शीला: आपके साथ आस्सन।।।।।।।।मुझे कोइ आपत्ति नहिन है।।।।।।।
पनदित: तोह तुम मेरे साथ आस्सन लोगि।।?
शीला: जि पनदितजि।।।
पनदित: लेकिन आस्सन लेने से पेहले मुझे भि बदन पे तेल लगाना होगा।।।।और येह तुमहेन लगाना है।।।
शीला: जि पनदितजि।।।
येह केह कर पनदित ने तेल कि बोत्तले शीला को दे दि।।।।और वो दोनो आमने सामने आ गये।।।।दोनो घुतनो पे खदे थेह।।।
शीला ने पनदित कि चेसत पे तेल लगाना शुरु किया।।।।
पनदित ने चेसत, पेत और उनदेररमस शवे किये थेह।।।।।।इसलिये उसकि सकिन बिलकुल समूथ थी।।।
शीला पेहले भि पनदित के बदन से अत्तरसत हो चुकि थी।।।।आज पनदित के बदन पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया।।।।।।।।।।।।।।।वो पनदित कि चेसत, पेत, बाहेन और पीथ पर तेल लगाने लगि।।।।।वेह अनदर से पनदित के बदन से लिपतना चाह रहि थी।।।।शीला भि पनदित के पीचे आ गयी।।।और उसकि पीथ पे तेल मलनेह लगि।।।फिर पीचे से हि उसके पेत और चाति पे तेल मलने लगि।।।।शीला के बूबस हलके हलके पनदित कि पीथ से तौच हो रहे थेह।।।।शीला ने भि पनदित कि नवेल मेन दो तीन बार उनगलि घुमायी।।।।।।
पनदित: शीला।।।तुमहारे हाथोन का सपरश कितना सुखदायि है।।।।
शीला केहना चा रही थी कि 'पनदितजि।।अपके बदन का सपरश भि बहुत सुखदायि है।।। '।।।।।।।।लेकिन शयनेस्स कि वजह से ना केह पायी।।।।।।।
पनदित: चलो।।।अब आस्सन ले।।।।।।।।।।।पेहले आस्सन मेन हुम दोनो को एक दूसरे से पीथ मिला कर बैथना है।।।
पनदित और शीला चौकदि मार के और एक दूसरे कि तरफ़ पीथ कर के बैथ गये।।।।फिर दोनो पास पास आये जिस्से कि दोनो कि पीथ मिल जाये।।।।।
पनदित कि पीथ तोह पेहले हि ननगि थी कयुनकि उसने सिरफ़ लुनगि पेहनी थी।।।।शीला बलौसे और पेत्तिसोअत मेन थी।।।।।।उसकि लोवेर पीथ तोह ननगि थी हि।।।।उसके बलौसे के हूकस भि नहिन थेह इसलिये ऊपर के पीथ भि थोदि सी एक्सपोसेद थी।।।
दोनो ननगि पीथ से पीथ मिला कर बैथ गये।।।
पनदित: शीला।।।अब हाथ जोद लो।।।।
पनदित हलके हलके शीला कि पीथ को अपनि पीथ से रगदनेह लगा।।।दोनो कि पीथ पे तेल लगा था।।।इसलिये दोनो कि पीथ चिकनि हो रहि थी।।।।
पनदित: शीला।।।।।।तुमहारि पीथ का सपरश कितना अच्चा है।।।।।।।कया तुमनेन इस्सेह पेहले कभि अपनि ननगि पीथ किसि कि पीथ से मिलायी है।।?
शीला: नहिन पनदितजि।।।।पेहली बार मिला रहि हून।।।।
शीला भि हलके हलके पनदित कि पीथ पे अपनि पीथ रगदनेह लगि।।।।
पनदित: चलो।।।अब घुतनो पे खदे होकर पीथ से पीथ मिलानि है।।।।
दोनो घुतनो के बल हो गये।।।।
एक दूसरे कि पीथ से चिपक गये।।।।।इस पोसितिओन मेन सिरफ़ पीथ हि नहिन।।दोनो कि हिपस भि चिपक रहीन थी।।।
पनदित: अब अपनि बाहेन मेरि बाहोन मेन दाल के अपनि तरफ़ हलके हलके खीनचो।।।
दोनो एक दूसरे कि बहोन मेन बहेन दाल के खीनच ने लगे।।।।दोनो कि ननगि पीथ और हिपस एक दूसरे कि पीथ और हिपस से चिपक गयी।।।।
पनदित अपनि हिपस शीला कि हिपस पे रगदने लगा।।।।शीला भि अपनि हिपस पनदित कि हिपस पे रगदने लगि।।।
शीला कि चूत गरम होति जारहि थी।।
पनदित: शीला।।।।।कया तुमहेन मेरि पीथ का सपरश सुखदायी लगा रहा है।।?
शीला शरमायी।।।।लेकिन कुच बोल हि पदी।।।
शीला: हान पनदितजि।।।।।।आपकि पीथ का सपरश बहुत सुखदायी है।।।
पनदित: ।।।और नीचे का।।?।।
शीला समझ गयी पनदित का इशारा हिपस कि तरफ़ है।।
शीला: ।।ह्ह।।हान पनदितजि।।।
दोनो एक दूसरे कि हिपस को रगद रहे थेह।।।
पनदित: शीला।।।।।तुमहारे चूतद भि कितने कोमल लगते हैन।।।।कितने सुदोल।।।मेरे चूतद तोह थोदे कथोर हैन।।।
शीला: पनदितजि।।।।आदमियोन के थोदे कथोर हि अच्चे लगते हैन।।।।
पनदित: अब मैन पेत के बल लेतूनगा।।।और तुम मेरे ऊपर पेत के बल लेत जाना।।।
शीला: जि पनदितजि।।।
पनदित ज़मीन पर पेत के बल लेत गया और शीला पनदित के ऊपर पेत के बल लेत गयी।।।
शीला के बूबस पनदित कि पीथ पे चिपके हुए थेह।।।
शीला का ननगा पेत पनदित कि ननगि पीथ से चिपका हुअ था।।।।
शीला खुद हि अपना पेत पनदित कि पीथ पे रगदने लगि।।।।
पनदित: शीला।।।।।तुमहारे पेत का सपरश ऐसे लगता है जैसे कि मैनेह शनील कि रजायी औद ली हो।।।।।और एक बात कहून।।।
शीला: स्स।।।कहिये पनदितजि।।
पनदित: तुमहारे सतन्नो का सपरश तोह।।।।।।
शीला अपने बूबस भि पनदित कि पीथ पे रगदने लगि।।।
शीला: तोह कया।।।।
पनदित: मधोश कर देने वला है।।।।।तुमहारे सतन्नो को हाथोन मेन लेने के लिये कोइ भि ललचा जाये।।।
शीला: स्सह्ह।।।।।।।।।
पनदित: अब मैन सीधा लेतूनगा और तुम मुझ पर पेत के बल लेत जाओ।।।।लेकिन तुमहारा मनूह मेरे चरनो कि और मेरा मनूह तुमहारे चरनो कि तरफ़ होना चाहिये।।।
पनदित पीथ के बल लेत गया और शीला पनदित के ऊपर पेत के बल लेत गयी।।।।
शीला कि तानगेन पनदित के फ़से कि तरफ़ थी।।।।।।।।शीला कि नवेल पनदित के लुनद पे थी।।।।वेह उसके सकत लुनद को मेहसूस कर रही थी।।।।।
पनदित शीला कि तानगोन पे हाथ फेरने लगा।।।
पनदित: शीला।।।।।।।।तुमहारि तानगेन कितनि अच्चि हैन।।।।
पनदित ने शीला का पेत्तिसोअत ऊपर चदा दिया और उसकि थिघस मलनेह लगा।।।।
उसनेह शीला कि तानगेन और विदे कर दि।।।।।शीला कि पनती साफ़ दिख रहि थी।।।
पनदित शीला कि चूसत के पास हलके हलके हाथ फेरनेह लगा।।।।
पनदित: शीला।।।।तुमहारि झानगे कितनि गोरि और मुलयम हैन।।।।।
चूत के पास हाथ लगाने से शीला और भि गरम हो रही थी।।।।
पनदित: तुमहेन अब तक सबसे अच्चा आस्सन कौनसा लगा।?
शीला: स्स।।।।वो।।।घुतनो के बल।।।।पीथ से पीथ।।।नीचे से नीचे वला।।।।।
पनदित: चलो।।।।अब मैन बैथ-ता हून।।।और तुमहेन सामने से मेरे कनधोन पे बैथना है।।।।।मेरा सिर तुमहारि तानगोन के बीच मेन होना चाहिये।।।
शीला: जि।।।।
शीला ने पनदित का सिर अपनि तानगोन के बीच लिया और उसके कनधोन पे बैथ गयी।।।
इस पोसितिओन मेन शीला कि नवेल पनदित के लिपस पे आ रही थी।।।।
पनदित अपनि जीभ बहर निका के शीला कि धुन्नि मेन घुमाने लगा।।।
शीला को बहुत मज़ा आ रहा था।।।
पनदित: शीला।।।अनखेन बद करके बोलो।।सवाहा।।
शीला: सवाहा।।
पनदित: शीला।।।।तुनहारि धुन्नि कितनि मीथि और गेहरी है।।।।।।।।।।।।।।कया तुमहेन येह वला आस्सन अच्चा लग रहा है।।
शीला: हान्न।।।पनदितजि।।।।येह आस्सन बहुत अच्चा है।।।।बहुत अच्चाअ।।।
पनदित: कया किसि ने तुमहारि धुन्नि मेन जीभ दालि है।।।।
शीला: आह्ह।।।।नहिन पनदितजि।।।आप पेहले हैन।।।
पनदित: अब तुम मेरे कनधोन पे रेह के हि पीचे कि तरफ़ लेत जाओ।।।।।हाथोन से ज़मीन का सहरा ले लो।।।
शीला पनदित के कनधोन का सहरा लेकर लेत गयी।।।।।।
अब पनदित के लिपस के सामनेह शीला कि चूत थी।।।।
पनदित धीरे से अपने हाथ शीला के सतन्न पे ले गया।।।और बलौसे के ऊपर से हि दबाने लगा।।।
शीला यहि चह रही थी।।।।।
पनदित: शीला।।।।तुमहारे सतन्न कितने भर्रे भर्रे हैन।।।।।।।अच्चे अच्चे।।।।
शीला: आह्ह।।।।।।।
शीला ने एक हाथ से अपना पेत्तिसोअत ऊपर चदा दिया और अपनि चूत को पनदित के लिपस पे लगा दिया।।।।
पनदित कच्चि के ऊपर से हि शीला कि चूत पे जीभ मारने लगा।।।।
पनदित: शीला।।।।अब तुम मेरि झोलि मैन आ जाओ।।।
शीला फ़ोरेन पनदित के लुनद पे बैथ गयी।।।।।उस-से लिपत गयी।।।।
पनदित: अह्ह।।।।शीला।।।येह आस्सन अच्चा है।।?।।
शीला: स्स।।स।।सबसे।अच्चा।।।।ऊओ पनदितजि।।।
पनदित: ऊह्ह।।।शीला।।।।आज तुम बहुत कामुक लग रही हो।।।।।कया तुम मेरे साथ काम करना चहति हो।।?
शीला: हान पनदितजि।।।।।स्सस।।।।।।।मेरि काम अगनि को शानत किजिये।।।।ह्हह्ह।।।पलेअसे।।पनदितजि।।।
पनदित शीला के बूबस को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा।।।।शीला बार बार अपनि चूत पनदित के लुनद पे दबाने लगि।।।
पनदित ने शीला का बलौसे उतार के फेनक दिया और उसके निप्पलेस को अपने मनूह मेन ले लिया।।।।।
शीला: आअह्ह।।।पनदितजि।।।।मेरा उधार करो।।।।मेरे साथ काम करो।।।।
पनदित: बहुत नहायी है मेरे दूध से।।।।।सरा दूध पीजाओनगा तेरि चातितयोन का।।।।
शीला: आअह्ह।।।।पी जाओ।।।।।मैन क्क।।।कब मना करति हून।।।पी लो पनदितजि।।।।पी लो।।।।
कुच देर तक दूध पीने के बाद अब दोनो से और नहिन सहा जा रहा था।।।
पनदित ने बैथे बैथे हि अपनि लुनगि खोल के अपने कच्चे से अपना लुनद निकला।।।शीला ने भि बैथे बैथे हि अपनि कच्चि थोदि नीचे कर दि।।।।
पनदित: चल जलदि कर।।।।।
शीला पनदित के सकत लुनद पर बैत गयी।।।।लुनद पूरा उसकि चूत मेन चला गया।।।।
शीला: आअह्हह्हह।।।।।।सवाहा।।।।करदो मेरा सवाहा।।आ।।।
शीला पनदित के लुनद पे ऊपर नीचे होने लगि।।।।चुदै ज़ोरो पे थी।।।।
पनदित: आह्हह।।।।।मेरि रनि।।।।।मेरि पुजारन।।।।।तेरि योनि कितनि अच्चि है।।।।कितनि सुखदायि।।।।।मेरि बासुरि को बहुत मज़ा आ रहा है।।।।
शीला: पनदितजि।।।।।आपकि बासुरि भि बदि सुखदायि है।।।।आपकि बासुरि मेरि योनि मेन बदि मीथी धुन बजा रहि है।।।
पनदित: शिवलिनग को चोर।।।।पेहले मेरे लिनग कि जै कर ले।।।।।बहुत मज़ा देगा येह तेरेको।।
शीला: ऊऊआअ।।।।प्प।।।।पनदितजि।।।।रात को तोह आपके शिवलिनग ने कहन कहन घुसनेह कि कोशिश कि।।।।।।
पनदित: मेरि रनि।।।आअ।।।।फ़िकर मत कर।।।।।स्स।।।तुझे जहन जहन घुसवना है।।।।मैन घुसाऊनगा।।।।
शीला: आअह्हह्ह।।।।।।पनदितजि।।।।एक विधवा को।।।दिलसा नहिन।।।।मरद का बदन चाहिये।।।।असलि सुख तोह इसि मेन है।।।।कयुन।।।।।।।आआ।।।।बोलिये ना पनदितजि।।।आऐई।।।
पनदित: हान।।आ।।।।
अब शीला लेत गयी और पनदित उसके ऊपर आकर उसेह चोदने लगा।।।
साथ साथ वो शीला के बूबस भि दबा रहा था।।।
पनदित: आअह्ह।।।उस्स।।।।आज के लिया तेरा पति बन जाऊन।।।बोल।।।
शीला: आऐए।।।स्सस।।।।।।।ई।।।।।हाअन्न।।।।बन जाओ।।।।।
पनदित: मेरा बान (अर्रोव) आज तेरि योनि को चीर देगा।।।।।।मेरि पयारी।।।।
शीला: आअह्हह।।।।।चीर दो।।।।आआअह्हह्हह्हह्हह्ह।।।।चीएर दो नाअ।।।।।आआह्ह
पनदित: आअह्हह।।।ऊऊऊऊ
दोनो एक साथ झद गये और पनदित ने सारा सेमेन शीला कि चूत के ऊपर झद दिया।।।।
शीला: आह्ह।।।।।।
अब शीला पनदित से आनखेन नहिन मिला पा रही थी।।।।।।
पनदित शीला के साथ लेत गया और उसके गालोन को चूमने लगा।।।
शीला: पनदितजि।।।।कया मैनेह पाप कर दिया है।।।।?।।
पनदित: नहिन शीला।।।।।पनदित के साथ काम करने से तुमहारि शुधता बध गयी है।।।।।
शीला कपदे पेहेन के और मकेउप उतार के घर चली आयी।।।।।
आज पनदित ने उसेह शिवलिनग बानधने को नहिन दिया था।।।।।
रात को सोतेह वकत शीला शिवलिनग को मिस्स कर रही थी।।।।।।।
उसेह पनदित के साथ हुइ चुदै याद आने लगि।।।।।।।।।।।।।।।।।।वो मन हि मन मेन सोचने लगि।।'पनदितजि।।।आप बदे वो हैन।।।।कब मेरे साथ कया कया करते चले गये।।पता हि नहिन चला।।।पनदितजि।।।आपका बदन कितना अच्चा है।।।।।।।।अपने बदन कि इतनि तारीफ़ मैनेह पेहली बार सुनि है।।।।।।।।।आप यहन कयुन नहिन हैन।।'
शीला ने अपना सलवार का नदा खोला और अपनि चूत को रगदने लगि।।।।'पनदितजि।।।।मुझे कया हो रहा है'।।येह सोचने लगि।।।
चूत से हता के उनगलि गानद पे ले गयी।।।और गानद को रगदने लगि।।।।'येह मुझे कैसा रोग लग गया है।।।तानगोन के बीच मेन भि चुभन।।।।।हिपस के बीच मेन भि चुभन।।।।।ओह।।'।।।
अगले दिन रोज़ कि तरह सुबेह 5 बजे शीला मनदिर आयी।।।।।इस वकत मनदिर मेन और कोइ ना हुअ करता था।।।
पनदित ने शीला को इशारे से मनदिर के पीचे आने को कहा।।।।।
शीला मनदिर के पीचे आ गयी।।।।आतेह हि शीला पनदित से लिपत गयी।।
शीला: ओह।।।पनदितजि।।।।
पनदित: ओह्ह।।।शीला।।।।।।।।
पनदित शीला को लिपस पे चूमने लगा।।।।शीला कि अस्स दबाने लगा।।।शीला भि कस के पनदित के हनोतोन को चूम रही थी।।।।।।तभि मनदिर का घनता बजा।।।।।और दोनो अलग हो गये।।।।।
मनदिर मेन कोइ पुजा करने आया था।।।।।।पनदित अपनि चूमा-चाति चोर के मनदिर मेन आ गया।।।।।।
जब मनदिर फिर खालि हो गया तोह पनदित शीला के पास आया।
पनदित: शीला।।।।इस वकत तोह कोइ ना कोइ आता हि रहेगा।।।।।तुम वहि अपने पुजा के तिमे पे आ जाना।।।
शीला अपनि पुजा करके चली आयी।।।।।।।।।।उसका पनदित को चोरने का दिल नहिन कर रहा था।।।खेर।।।।वो 12:45 बजे का इनतज़ार करने लगि।।।।।
12:45 बजे वो पनदित के घर पहुनचि।।।।।।दरवाज़ा खुलते हि वो पनदित से लिपत गयी।।।
पनदित ने जलदि से दरवाज़ा बनद किया और शीला को लेकर ज़मीन पे बिची चादर पे ले आया।।।।।
शीला ने पनदित को कस के बाहोन मेन ले लिया।।।।। पनदित के फ़से पर किस्स पे किस्स किये जा रही थी।।।।अब दोनो लेत गये थेह और पनदित शीला के ऊपर था।।।।
दोनो एक दूसरे के हनोतोन को कस कस के चूमने लगे।।।
पनदित शीला के हनोतोन पे अपनि जीभ चलाने लगा।।।।।शीला ने भि मनूह खोल दिया।।।अपनि जीभ निकल के पनदित कि जीभ को चातने लगि।।।।।।।।।पनदित ने अपनि पूरि जीभ शीला के मनूह मेन दाल दि।।।।।।शीला पनदित के दातोन पे जीभ चलाने लगि।।।।
पनदित: ओह।।।शीला।।।।।मेरि रनि।।।तेरि जीभ।।।तेरा मनूह तोह मिलक-सके जैसा मीथा है।।।
शीला: पनदितजि।।।आअ।।।।।।आपके हनोत बदे रसीलेन हैन।।।।।आपकि जीभ शरबत है।।आआह्ह।।।
पनदित: ओह्हह।।।शीला।।।।
पनदित शीला के गलेह को चूमनेह लगा।।।।।।
आज शीला सफ़ेद सारि-बलौसे मेन आयी थी।।।।।।
पनदित शीला का पल्लु हता के उसके सतन्नो को दबाने लगा।।।।शीला ने खुद हि बलौसे और बरा निकाल दिया।।
पनदित उसके बूबस पे तूत पदा।।।।।उसके निप्पलेस को कस कस के चोस्सने लगा।।।।
शीला: अह्हह्ह।।।पनदितजि।।।।।आराम से।।।।।।।मेरे सतन्न आपको इतनेह अच्चे लगे हैन।।।?।।।आऐईए।।।।
पनदित: हान।।।।।।तेरे सतन्नो का जवब नहिन।।।।।तेरा दूध कितनि सरेअम वला है।।।।।और तेरे गुलाबि निप्पलेस।।।इनेह तोह मैन खा जाऊनगा।।।
शीला: आअह्हह्ह।।।।ह।।।ई।।।।।।तोह खा जाओ ना।।।मना कौन करता है।।।।।।
पनदित शीला के निप्पलेस को दातोन के बीच मेन लेके दबाने लगा।।।
शीला: आऐई।।।।।।इतना मत कातो।।।।।आह्ह।।।।वरना अपनि इस भेनस (सोव) का दूध नहिन पी पाओगे।।।।
पनदित: ऊओ।।।मेरि भेनस।।।।।मैन हमेशा तेरा दुदु पीता रहूनगा।।।।
शीला: ई।।।त।।आआ।।।।तोह।।पी।।अह्ह।।।लो ना।।।।।निकालो ना मेरा दूध।।।।।।खालि कर दो मेरे सतन्नो को।।।।।
पनदित कुच देर तक शीला के सतन्नो को चूसता, चबाता, दबाता और कात-ता रहा।।।
फिर पनदित नीचे कि तरफ़ आ गया।।।।।उसने शीला कि सारि और पेत्तिसोअत उसके पेत तक चदा दिये।।।।।उसकि तानगेन खोल दि।।।।।।
पनदित: शीला।।।।आज कच्चि पेहेनेह कि कया ज़रूरत थि।।।।
शीला: पनदितजि।।।आगेह से नहिन पेहेनूगि।।।।
पनदित ने शीला कि कच्चि निकाल दि।।।
पनदित: मेरि रनि।।।।अपनि योनि दवार का सेवन तो करदे।।।।
येह केह कर पनदित शीला कि चूत चात-ने लगा।।।।।।।।।।शीला के बदन मेन सुर्रेनत सा दौद गया।।।।शीला पेहली बार चूत चतवा रही थी।।।।
शीला: आआह्हह्ह।।।।।।म।।।म्म।।म।।।।।मेरि योनि का सेवन कर लो पनदितजि।।।।।तुमहारे लिये सारे दवार खुलेह हैन।।।।अपनि शुध जीभ से मेरि योनि का भोग लगा लो।।।।मेरि योनि भि पवित्रा हो जायेगि।।।।।।।आआह्हह्हह
पनदित: आअह्ह।।।मज़ा आ गया।।।।
शीला: आअह।।।।हान।।हान।।।।।ले लो मज़ा।।।।।एक विधवा को तुमने गरम तोह कर हि दिया है।।।।इसकि योनि चखने का मौका मत गवाओ।।।।।।।मेरे पनदितजि।।।आआईई।।।।।।।।।।प।।।।।।
पनदित ने शीला को पेत के बल लिता दिया।।।उसकि सारि और पेत्तिसोअत उसकि हिपस के ऊपर चदा दिये।।और शीला कि हिपस पे किस्स करने लगा।।।शीला कि हिपस थोदि बदि थी।।।बहुत सोफ़त थी।।।।
पनदित: शीला।।।।।मैन तोह तेरे चूतद पे मर जाऊन।।।।।।
शीला: पनदितजि।।।।आह्ह।।।मरना हि है तोह मेरे चूतदोन के असलि दवार पे मरो।।।।।।आपने जो शिवलिनग दिया था वो मेरे चूतदोन के दवार पे आकर हि फसता था।।।।।।।।।।।
पनदित: तु फ़िकर मत कर।।।।।तेरे हर एक दवार का भोग लगाऊनगा।।।।
येह केह कर पनदित ने शीला को घोदा बनाया।।।और उसकि गानद चात-ने लगा।।।।
शीला को इसमेन बहुत अच्चा लग रहा था।।।।।।।।।पनदित शीला का अस्सहोले चात-ने के साथ साथ उसकि फ़ुद्दि को रगद रहा था।।।।।।।
शीला: आअह्हह।।।।चलो।।।पनदितजि।।।अब सवाहा कर दो।।।।।ऊस्सशह्हह्हह्ह
पनदित: चल।।।।अब मेरा परसाद लेने के लिये तैययर हो जा।।।
शीला: आह्हह।।।पनदितजि।।।।।आज मैन परसाद पीचे से लूनगि।।।।
पनदित: चल मेरि रनि।।।।जैसे तेरि मरज़ि।।।।।।
पनदित ने धीरे धीरे शीला कि गानद मेन अपना पूरा लुनद दाल दिया।।।।।।
शीला: आआअहह्हह्ह।।।।।।
पनदित: आअह।।।शीला पयारि।।।।बुस कुच सबर करले।।।।आह्ह
शीला: आआह्हह्ह।।।।पनदितजि।।।।मेरे पीचे।।।आऐई।।।। के दवार मेन।।।।आपका सवागत है।।।।।ऊई
पनदित: आअह्ह।।।।मेरे बान (अर्रोव) को तेरा पिचला दवार बहुत अच्चा लगा है।।।।।कितना तिघत और चिकना है तेरा पीचे का दवार।।।।।
शीला: आअह्हह।।।।पनदितजि।।।।।अपनेह ससूतर कि सपीद बदा दो।।।।रसे दो ना।।।।आअ।।।
पनदित ने गानद मेन धक्कोन कि सपीद बदा दि।।।
फिर शीला के गानद से निकाल कर लुनद उसकि फ़ुद्दि मेन दाल दिया।।।।
शीला: आयी माअ।।।।।।।।कोइ दवार मत चोरना।।।।।।।।आआ।।।आपकि बासुरि मेरे बीच के।।।आह्ह।।।।।।दवार मेन कया धुन बजा रहि है।।।।।।।।।।
पनदित: मेरि शीला।।।।।मेरि रनि।।।।तेरे चेदोन मेन मैन हि बासुरि बजाओनगा।।।।
शीला: आअह्हह्हह।।।पनदितजि।।।।मुझे योनि मेन बहुत।।।आअह।।।।खुजली हो रही है।।।।।अब अपना चाकु मेरि योनि पे चाला दो।।।।।।मितादो मेरि खुजली।।।।।मिताअओ ना।।।।।
पनदित ने शीला को लिता दिया।।।।।और उसके ऊओपर आके अपना लुनद उसकि चूत मेन दाल दिया।।।।।।साथ साथ उसने अपनि एक उनगलि शीला के गानद मेन दाल दि।।।।
शीला: आअह्हह्हह।।।।पनदितजि।।।।।पयार करो इस विधवा लदकि को।।।।।।अपनि बासुरि से तेज़ तेज़ धुनेह निकालो।।।।।।मितादो मेरि खुजली।।।।।।।।।।।।।।।।आहहह्हह्ह।।।।अ।आ।।ए।ए।।।।।
पनदित: आआह्हह्ह।।।मेरि राअनि।।।।।।।
शीला: ऊऊह्हह्हह्ह।।।।।।मेरे राज्जाअ।।।।।।।और तेज़ ।।।।।।।।।आऊऊउर्रर्रर तेज़्ज़ज़।।।।।आआह्हह्हह्हह।।।।।।।।।अनदर।।।और अनदर आज्जजाआ।।।।।।आअह्ह।।।।प्पप।।।स।स।।स।
पनदित: ।।।।।आह्हह।।।ओह्हह।।।।।।।।।।शीला।।।पयारि।।।।मैन चूत-ने वला हून।।।।
शीला: आअह्हह्ह।।।।।।मैन भी।।।।आआ।।।ई।।।।।।।ऊऊऊ।।।।।अनदर हि ।।।।।।गिरा।।।।द।।।दो अपना।।।।परसाद।।।।।
पनदित: आअह्हह्हह।।।।।।।।।।।
शीला: आआह्हह्हह।।।।।।।।।।।।।।।।।।अ।।अह।।।

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