बाप का पाप

दोस्तो मेरा नाम अंकिता हैं और मैं मेरे घेर मैं सबके साथ छुड़ाई कर चुकी हो मुझे मेरे घर मैं और ससुराल मैं भी सबसे छुड़ाई हूआमैं पूरी सोलह साल की हो चुकी और मैं औरत मर्द के रिश्ते को समझती थी. एक बार पापा को मम्मी को छोड़ते देखा तू इतना मज़ा आया की रोज़ देखने लगी. मैं पापा की छुड़ाई देख इतना मस्त हुई थी की अपने पापा को फंसानॠका जाल बुन ने लगी और आख़िर एक दिन कामयाबी मिल ही गयी. पापा को मैने फँसा ही लिया. अब जब भी मौक़ा मिलता, पापा की गोद मैं बैठ उनसे चूचियाँ दबवा दबवा मज़ा लेती. पैर अभी तक केवल चूचियों को ही दबवा पाई थी, पूरा मज़ा नही लिया था. मेरे मामा की शादी थी इसलिए मम्मी अपने मयक़े जा रही थी. रात मैं पापा ने मुझे अपनी गोद मैं खड़े लंड पे बिठाकर कहा था बेटी कल तेरी मम्मी चली जाएगी फिर तुझे कल पूरा मज़ा देकर जवान होने क मतलब बताएँगे. मैं पापा की बात सुन ख़ुश हो गयी थी. पापा अब अपने बेडरूम की कोई ना कोई विंडो खुली रखते थे जिससे मैं पापा को मम्मी को छोड़ते देख सकूँ. ऐसा मैने ही कहा था. फिर उस रात पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पैर बिठाकर उनकी छूट को छाटकार दो बार झाड़ा और फिर 3 बार हचाक कर छोड़ा फिर दोनो सो गाये. अगले दिन मम्मी को जाना थाआज मम्मी ज्जा रही थी पापा ने मेरे कमरे मैं आ मेरी चूचियों को पकड़कर दो टीन बार मेरे हूत चूमे और लंड से छूट दबा कहा की तुम्हारी मम्मी को स्टेशन छ्छोड़कर आता हून फिर आज रात तुमको पूरा मज़ा देंगे. मैं बड़ी ख़ुश थी. पापा चले गाये तू मैं घर मैं अकेली रह गयी. मैं अपनी चड्डी उतर पापा की वापसी का इंतेज़र कर रही थी. मैं सोचा की जब तक पापा नही आते अपनी छूट को पापा के लंड के लिए उंगली से फैला लून. तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया. मैने छूट मैं उंगली पेलते हुवे पूच्हा, “कौन है” मैं हून उमेश. उमेश का नठसुन मैं गुड़गूदी से भर गयी. उमेश मेरा 20 य्र्स. का पड़ोसी था. वा मुझे बड़े दीनो से फासना छह रहा था पैर मैं उसे लाइन नही दे रही थी. वा रोज़ मुझे गंदे गंदे इशारे करता था और पास आ कभी कभी चूचि दबा देता और कभी गांड पैर हाथ फैर कहता की रानी बस एक बार चखा दो. आज अपनी छूट मैं उंगली पेल मैं बेताब हो गयी थी. आज उसके आने पैर इतनी मस्ती छ्छाई की बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया. मुझे उसके इशारो से पता चल चक्का थठकी वा मुझे छोड़ना चाहता है. आज मैं उससे छुड़वाने को तैइय्यर थी. आज सुबह ही पापा ने मम्मी को चेर पैर बिठाकर छूट चटकार छोड़ा था. मम्मी के भाई की शादी थी इसलिए वा एक सप्ताह के लिए गयी थी. पापा ने कहा था की आज पूरा मज़ा देंगे. इसके पहले पापा ने कई बार मेरी गाड्राई चूचियों को दबाकर मज़ा दिया था. मैं घर मैं अकेली चड्डी उतरकर अपनी छूट मैं उंगली पैल्कर मज़ा ले रही थी जिस से जब पापा का मोटा लंड छूट मैं जाए तू र्द ना हो. उमेश के आने पैर सोचा की जब तक पापा नही आते तब तक क्यों ना इसी से एक बार छुड़वकर मज़ा लिया. यही सोचकर दरवाज़ा खोल दिया.

मैने जैसे ही दरवाज़ा खोला उमेश फ़ौरन अंदर आया और मुझे देखकर ख़ुश हो मेरी चूचियों को पकड़कर बोला, “हाए रानी बड़ा अच्छा मौक़ा है.” मैं उसकी हरकत पैर सँसना गयी. उसने मेरी चूचियों को छ्छोड़कर पलटकर दरवाज़ा बंद किया और मुझे अपनी गोद मैं उठा लिया और मेरी दोनो चूचियों को मसलते हुवे मेरे हूँतो को चूसने लगा और बोला, “हाए रानी तुम्हारी चूचियों तू बहुत टाइट हैं. हाए बहुत तड्पया है तुमने रानी आज ज़रूर छोঠँगा.” हाए भगवान दो पापा आ जाएँगे. “डरो नही मेरी जान बहुत जल्दी से छोड़ लूंगा. मेरा टा है दर्द नही होगा.” वा मेरी गांड सहला बोला, “हाए चड्डी नही पहनी है, यह तू बहुत अच्छा है.” मैं तू अपने पापा से छुड़वाने के जुगाड़ मैं ही नंगी बैठी थी पैर यह तू एक सुनहरा मौक़ा मिल गया था. मैं पापा से छुड़वाने के लिए पहले से ही गरम थी. जब उमेश मेरी चूचियों और गालो को मसलने लगा तू मैं पापा से पहले उमेश से मज़ा लेने को बेठार हो गयी. उसकी छ्छेद छ्छाद मैं मज़ा आ रहा था. मेरी छूट पापा का लंड खाने से पहले उमेश का लंड खाने को बेताब हो गयी. मैं अपनी कमर लचकाती बोली, “हाए उमेश जो करना हो जल्दी से कर लो कहीं पापा ना आ जाए.” मैं पागल होती बोली तू उमेश मेरा इशारा पा मुझे बेड पैर लिटा अपनी पंत उतरने लगा. नंगा हो बोला, “रानी बड़ा मज़ा आएगा. तुम एकदम तैइय्यर माल हो. देखो मेरा लंड छ्होटा है ना.”
उसने मेरा हाथ अपने लंड पैर रखा तू मैं उसके 4 इंच के खड़े लंड को पकड़ मस्त हो गयी. इसका तू मेरे पापा से आधा था. मैं उसका लंड सहलती बोली, “हाए राम जो करना है जल्दी से कर लो.” उमेश के लंड पकड़ते ही मेरा बदन टापने लगा. पहले मैं दार्र रही थी पैर लंड पकड़ मचल उठी. मेरे कहने पैर वा मेरी टॅंगो के बीच आया और मेरी कसी कुँवारी छूट पैर अपना छ्होटा लंड रख धक्का मारा. सूपड़ा कुच्छ से अंदर गया. फिर 3-4 धक्के मारकर पूरा ल अंदर पेल दिया. कुच्छ देर बाद उसने धीरे धीरे छोड़ते हुवे पूच्हा, “मेरी जान दर्द तू नही हो रहा है. मज़ा आ रहा है ना” “हाए मारो धक्के मज़ा आ रहा है.” मेरी बात सुन वा तेज़ी से धक्के मरने लगा. मैं उससे छुड़वते हुवे मस्त हो रही थी. उसकी छुड़ाई मुझे जन्नत की सैरकरा रही थी. मैं नीचे से गांड उचकाती सीसियते हुवे बोली, “हाए उमेश ज़ोर ज़ोर से छोड़ो तुम्हारा लंड बहुत छ्होटा है. ज़रा ताक़त से छोड़ो राजा.” मेरी सुन उमेश ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगा. उसका छ्होटा लंड सक्साकक मेरी छूट मैं आ जा रहा था. मैं पहली बार छुड़ रही थी इसलिए उमेश के छ्होटे लंड से भी बहुत मज़ा आ रहा था. वा इसी तरह छोड़ते हुवे मुझे जन्नत का मज़ा देने लगा. 10 मिनिट बाद वा मेरी चूचियों पैर लुढ़क गया और कुत्ते की तरह हाफ़्ने लगा. उसके लंड से गरम, गरम पानी मेरी छूट मैं गिरने लगा. मैं पहली बार चूड़ी थी और पहली बार छूट मेनलॅंड की मलाई गिरी थी इसलिएमज़े से भर मैं उससे चिपक गयी. मेरी छूट भी तपकने लगी. कुच्छ देर हमलोग अलग हुवे.
वा कपड़े पहन चला गया. मेरी छूट चिपचिपा गयी थी. उमेश मुझे छोड़कर चला गया पैर उसकी इस हिम्मत भारी हरकत से मैं मस्त थी. उसने छोड़कर बता दिया की छुड़वाने मैं बहुत मज़ा है. उमेश ठीक से छोड़ नही पाया था, बस ऊपर से छूट को रग़ाद कर चला गया था पैर मैं जान गयी थी की छुड़ाई मैं अनोखा मज़ा है. उसके जाने पैर मैने चड्डी पहन ली थी. मैं सोच रही थी की जब उमेश के छ्होटे लंड से इतना मज़ा आया है तू जब पापा अपना मोटा तगड़ा ठड पेलेंगे तू कितना मज़ा आएगा. उमेश के जाने के 6-7 मिनिट बाद ही पापा स्टेशन से वापस आ गाये. वा अंदर आते ही मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ते हुवे बोले, “आओ बेटी अब हम तुमको जवान होने का मतलब बताएँगे.” “ओह पापा आप ने तू कहा था की रात को बताएँगे.” “अरे अब तू मम्मी चली गयी हैं अब हर समय रात ही है. मम्मी के कमरे मैं ही आओ. क्रीम लेती आना.” पापा मेरी चूचियों को मसलते हुवे बोले. मैं उमेश से छुड़वर जान ही चुकी थी. मैं जान गयी की क्रीम का क्या होगा पैर अनजान बन बोली, “पापा क्रीम क्यों” “अरे लेकर आओ तू बताएँगे.” पापा मेरी चूचियों को इतनी कसकर मसल रहे थे जैसे उखाड़ ही लेंगे. मैं क्रीम और टवल ले मम्मी के बेडरूम मैं फुँछी. मैं बहुत ख़ुश थी. जानती थी की क्रीम क्यों मंगाई है. उमेश से छुड़ने के बाद क्रीम का मतलब समझ गयी थी. पापा मुझे लड़की से औरत बनाने के लिए बेकरार थे. मैं भी पापा का मोटा केला खाने क तड़प रही थी. कमरे मैं पहुँची तू पापा बोले, “बेटी क्रीम तबले पैर रखकर बैठ जाओ.”
मैं गुड़गूदते मॅन से चेर पैर बैठ गयी तू पापा मेरे पीच्े आए और अपने दोनो हाथ मेरी कड़ी चूचियों पैर लाए और दोनो को प्यार से दबाने लगे. पापा के हाथ से चूचियों को दबवाने मैं बड़ा मज़ा आ रहा था. तभी पापा ने अपने हाथ को गले की ऊवार से फ्रॉक के अंदर डाल दिया और नंगी चूचियों को दबाने लगे. मैं फ्रॉक के नीचे कुच्छ नही पहने थी. पापा मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को मूतही मैं भरकर दबा रहे थे साथ ही दोनो घुंडियों को भीमसल रहे थे. मैं मस्ती से भारी मज़ा ले रही थी. तभी पापा ने पूछा, “क्यों बेटी तुमको अच्छा लग रहा है” हाए पापा बहुत मज़ा आ रहा है. “इसी तरह कुच्छ देर बैठो. आज तुमको शादी से पहले ही शादी वाला मज़ा देंगे. अब तुम जवान हो गयी हो. हाए तुम लेने लायक हो गयी हो. आज तुमको ख़ूब मज़ा देंगे.” आााहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊहह्छ पाआआपाआा. “जब मैं इस तरह से तुम्हारी चूचियों को दबाता हून तू तुमको कैसा लगता है” पापा मेरी कचूचियों को नीचोड़कर बोले तू मैं उतावाली हो बोली, “हाए पापा ऊह् ससीए इस तरह तू मुझे और भी अच्छा लगता है.” “जब तुम कपड़े उतरकर नंगी होकर मज़ा लोगी तू और ज़्यादा मज़ा आएगा. हाए तुम्हारी चूचियों छ्छोटी हैं.” “पापा मेरी चूचियाँ छूती क्यों हैं. मम्मी की तू बड़ी हैं.” “घबरओ मत बेटी. तुम्हारी चूचियों को भी मम्मी की तरह बड़ी कर दूँगा. हाए बेटी कपड़े उतरकर नंगी होकर बैठो तू बड़ा मज़ा आएगा.” “पापा चड्डीभी उतर डून.” मैं अनजान बनी थी.” “हन बेटी चड्डी भी उतर दो. लड़कियों का असली मज़ा तू चड्डी मैं ही होता है. आज तुमको सारी बात बताएँगे. जब तक तुम्हारी शादी नही होती तब मैं ही तुमको शादी वाला मज़ा दूँगा. तुम्हारे साथ मैं ही सुहाग्रात मानौंगा. तुम्हारी चूचियाँ बहुत टाइट हैं. बेटी नंगी हो.” पापा फ्रॉक के अंदर हाथ डाल दोनो को दबाते बोले.
जब पापा ने मेरी चूचियों को मसलते हुवे कपड़े उतरने को कहा तू यक़ीन हो गया की आज पापा के लंड का मज़ा मिलेगा. मैं उनके लंड को खाने की सोच गुड़गूदा गयी थी. मैं मम्मी की रंगीन छुड़ाई को याद करती कुर्सी से नीचे उतरी और कपड़े उतरने लगी. कपड़े उतर नंगी हो मम्मी की तरह ही पैर फैला कुर्सी पैर बैठ गयी. मेरी छ्छोटी छूती चूचियाँ तनी थी और मुझे ज़रा भी शरम नही लग रही थी. मेरी जांघो के बीच रोएदार छूट पापा को सॉफ दठ रही थी. पापा मेरी गाड्राई छूट को गौर से देख रहे थे. छूट का गुलाबी छ्छेद मस्त था. पापा एक हाथ से मेरी गुलाबी काली को सहलाते बोले, “हाय राम बेटी तुम्हारी तू जवान हो गयी है.” क्या जवान हो गयी है पापा. “अरे बेटी तुम्हारी छूट.” पापा ने छूट को दबाया. पापा के हाथ से छूट दबाए जाने पैर मैं सँसना गयी. मैं मस्ती से भारी अपनी छूट को देख रही थी. तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपद मेरी छूट मैं डाला. वा मेरी छूको क्रीम से चिक्नी कर रहे थे. अंगूठा जाते ही मेरा बदन गंगाना गया. तभी पापा ने छूट से अंगूठा बाहर किया तू उसपर लगे छूट के रस को देख बोले, “हाए बेटी यह क्या है. क्या किसी से छुड़वकर मज़ा लिया है” मैं पापा के अनुभव से धक्क से रह गयी. मैं घबराकर अनजान बनती बोली, “कैसा मज़ा पापा” “बेटी यहाँ कोई आया था” नही पापा यहाँ तू कोई नही आया था. “तू फिर तुम्हारी छूट मैं यह गढ़ा रस कैसा” मुझे क्या पता पापा जब आप मेरचूचियाँ मसल रहे थे तब कुच्छगिरा था शायद. मैं बहाना बनती बोली. “लगता है तुम्हारी छूट ने एक पानी छ्छोड़ दिया है. लो टवल से सॉफ कर लो.”
पापा मुझे टवल दे चूचियों को मसलते हुवे बोले. पापा से टवल ले अपनी छूट को रग़ाद राग़ादकार सॉफ किया. पापा को उमेश वाली बात पता नही चलने दी. मैं चूचियाँ मसल्वाते हुवे पापा से खुलकर गंदी बाते कर रही थी ताकि सभी कुच्छ जान सकूँ. “बेटी जब तुम्हारी चूचियों को दबाता हून तू कैसा लगता है” “हाए पापा तब जन्नत जैसा मज़ा मिलता है.” “बेटी तुम्हारी छूट मैं भी कुच्छ होता है” “हन पापा गुड़गूदी हो रही है.” मैं बेशर஠हो बोली.” ज़रा तुम्हारी चूचियाँ और दबा लून तू फिर तुम्हारी छूट को भी मज़ा डून. बेटी किसी को बताना नही नही पापा बहुत मज़ा है. किसी को नही पता चलेगा.” पापा मेरी चूचियों को मसलते रहे और मैं जन्नत का मज़ा लेती रही. कुच्छ देर बाद मैं तड़प कर बोली, “ऊओहह्छ पापा अब बंद करो चूचियाँ दबाना और अब अपनी बेटी की छूट का मज़ा लो.” अब मैं भी पापा के साथ खुलकर बात कर रही थी. इस समय हुंदोनो बाप-बेटी पति-पत्नी थे. पापा म
री चूचियों को छ्छोड़कर मेरे सामने आए. पापा का मोटा लंड खड़ा होकर मेरी आँख के सामने फूदकने लगा. लंड तू पापा का पहले भी देखा था पैर इतनी पास से आज देख रही थी. मेरा मॅन उसे पकड़ने को लालचाया तू मैने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी. छूट पापा के मस्त लंड को देख लार टप्कने लगी. मैं पापा के केले को पकड़कर बोली, “श पापा आपका लंड बहुत मोटा है. इतना मोटा मेरी छूट मैं कैसे जाएगा”
अरे पगली मर्द का लंड ऐसा ही होता है. मोटे से ही तू मज़ा आता है. “पैर पापा मेरी छूट तू छ्छोटी है.” “कोई बात नही बेटी. देखना पूरा जाएगा.” “पैर पापा मेरी फ़टट जाएगी.” अरे बेटी नही फतेगी. एक बार छुड़ जाओगी तू रोज़ छुड़वाने के लिए तदपॉगी. अपने पैर फैलाकर छूट खोलो पहले अपनी बेटी की छूट छत ले फिर छोदुँगा. मैं समझ गयी की पापा मम्मी की तरह मेरी छूट को चटना चाहते हैं. मैने जब मम्मी को छूट चटवाते देखा था तभी से स रही थी की काश पापा मेरी छूट भी छत्ते. अब जब पापा ने छूट फैलने के लिए तू फ़ौरन दोनो हाथ से छूट की दरार को छिड़ॉरकर खोल दिया. पापा घुटने के बल नीचे बैठ गाये और मेरी रोएदार छूट पैर अपने हूनत रख चूमने लगे. पापा के चूमने पैर मैं गंगाना गयी. दो चार बार चूमने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी छूट के चारो ऊवार चलते हुवे चटना शुरू किया. वा मेरे हल्के हल्के बॉल भी चाट रहे थे. मुझे ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. पापा छूट छाऍते हुवे तीत (क्लिट) भी छत रहे थे. मैं मस्त थी. उमेश तू बस जल्दी से छोड़कर चला गया था. चूचि भी नही दबाया था जिससे कुच्छ मज़ा नही आया था. लेकिन पापा तू चालक खिलाड़ी की तरह पूरा मज़ा दे रहे थे. पापा ने छूट के बाहर चाट छाटकार गीला कर दिया था. अब पापा छूट की दरार मैं जीभ चला रहे थे. कुच्छ देर तक इसी तरह करने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी गुलाबी छूट के लास लसाए छ्छेद मैं पेल दिया. जीभ छ्छेद मैं गयी तू मेरी हालत राब हो गयी. मैं मस्ती से तड़प उठी. पहली बार छूट छ्छाती जा रही थी. इतना मज़ा आया की मैं नीचे से छूटड़ उच्चालने लगी. कुच्छ देर बाद पापा छ्ात्कार अलग हुवे और अपने खड़े लंड को मेरी छूट पैर लगा लंड से छूट रग़ादने लगे.
छूट की चटाई के बाद लंड की रागदाइ ने मुझे पागल बना दिया और मैं उतावलेपान से पापा से बोली, “पापा अब पेल भी दो मेरी छूट मैं. आअहह्ह्ह ऊऊहह्छ.” पापा ने मेरी तड़पति आवाज़ पैर मेरी चूचियों को पकड़कर कमर को उठाकर ढाका मारा तू करारा शॉट लगने पैर पापा का आधा लंड मेरी छूट मैं अरास गया. पापा का मोटा और लंबा लंड मेरी छ्छोटी छूट को ककड़ी की तरह चीरकर घुसा था. आधा जाते ही मैं दर्द से तदपकर बोली, “आआाहह्ह्ह्ह्ह ठऊऊईई ममम्म्माररर्र गयी पापा. धीरे धीरे पापा बहुत मोटा है पापा छूट फ़टट गयी.” पापा का मोटा और लंबा लंड मेरी छूट मैं कसा था. मेरे करहने पापा ने धक्के मारना बांडकर मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया. अब मज़ा आने लगा. 6-7 मिनिट बाद दर्द ख़तम हो गया. अब पापा बिना रुके धक्के लगा रहे थे. धीरे धीरे पापा का पूरा लंड मेरी छूट की झिल्ली फदता हूवा घुस गया. मैं दर्द से छ्त्पटाने लगी. ऐसा लगा जैसे छूट मैं चाकू(नाइफ) ठसा है. मैं कमर झटकते बोली, “हाए पापा मेरी फ़टट गयी. निकालो मुझे नही छुड़वाना.” पापा अपना लंड पेलते हुवे मेरे गाल चाट रहे थे. पापा मेरे गाल चाट बोले, “बेटी रो मत अब तू पूरा चला गया. हर लड़की को पहली बार दर्द होता है फिर मज़ा आता है.”
कुच्छ देर बाद मेरा करहना बंद हूवा तू पापा धीरे धीरे छोड़ने लगे. पापा का कसा कसा आ जा रहा था. अब सच ही मज़ा आ रहा था. अब जब पापा ऊपर से धक्का लगते तू मैं नीचे से गांड उच्चलती. उमेश तू केवल ऊपर से राग़ादकार छोड़कर चला गया था. असली छुड़ाई तू पापा कर रहे थे. पापा ने पूरा अंदर तक पेल दिया था. पापा का लंड उमेश से बहुइट मज़ेदार था. जब पापा शॉट लगते तू सूपड़ा मेरी बच्चेदानी तक जाता. मुझे जन्नत के मज़े से भी अधिठमज़ा मिल रहा था. तभी पापा ने पूच्हा, बेटी अब दर्द तू नही हो रही है “हाए पापा अब तू बहुत मज़ा आ रहा है. आअहह्छ पापा और ज़ोर ज़ोर से छोड़िये.” पापा इसी तरह 20 मिनिट तक छोड़ते रहे. 20 मिनिट बाद पापा के लंड से गरम गरम मलाइडर पानी मेरी छूट मैं गिरने लगा. जब पापा का पानी मेरी छूट मैं गिरा तू मैं पापा से चिपक गयी और मेरी छूट भी फालफ़लकार झड़ने लगी. हुंदोनो साथ ही झाड़ रहे थे. पापा ने फिर मुझे रात भर छोड़ा. सुबह 12 जे सोकर उठे तू मैने पापा से कहा, “पापा आज फिर छोड़ेंगे” अरे मेरी जान अब मैं बेटिछोड़ बन गया हून. अब तू तुझे रोज़ ही छोदुँगा. अब तू मेरी दूसरी बीवी है पैर पापा जब मम्मी आ जाएँगी तू अरे मेरी जान उसे तू बस एक बार छोड़ दूँगा और वा ठंडी हो जाएगी फिर तेरे कमरे मैं आ जया करूँगा. मैं फिर पापा के साथ रोज़ सुहाग्रात मानने लगी.श्याद कोई आ रहा अहन मैं बादमईन स्टोरी लिखूँगी

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